नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया में 15 दिसंबर की पुलिस कार्रवाई के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन ने अदालत जाने का फैसला किया है।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कार्यकारी परिषद की बैठक में बुधवार को सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में छात्रों पर पुलिस बर्बरता के मामले में प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए जामिया प्रशासन अब जल्द ही अदालत का दरवाज़ा खटखटाएगा।
जामिया की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि निचली अदालत में धारा 156(3) के तहत याचिका दायर की जाएगी और अदालत से पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की जाएगी। छात्रों की भी यही मांग थी और वे बराबर जामिया प्रशासन पर इसके लिए दबाव बना रहे थे।
उन्होंने कहा कि जामिया प्रशासन अब तक कई बार पुलिस से प्राथमिकी दर्ज करने की मांग कर चुका है। पुलिस के कई आला अधिकारियों को कई बार अपनी शिकायत भेज कर मामला दर्ज करने का अनुरोध किया गया लेकिन पुलिस की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।
बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि सभी संकाय के डीन से सलाह कर बचे हुए सेमेस्टर परीक्षाओं की नई तारीखों का एलान किया जाएगा। इसके साथ ही यह भी तय किया गया कि विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों की सुरक्षा के लिए सभी ज़रूरी क़दम उठाए जाएंगे। विश्वविद्यालय परिसर में 15 दिसंबर की घटना के बाद से प्रशासन ने सुरक्षा इंतज़ामों कड़े कर दिए हैं।
गौरतलब है कि 15 दिसम्बर को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के बाद जामिया परिसर में घुसकर पुलिस ने पुस्तकालय में तोड़फोड़ की थी तथा छात्रों को बेरहमी से पीटा था। उसके बाद जामिया प्रशासन ने पांच जनवरी तक छुट्टी की घोषणा कर दी।
लेकिन इस बीच भी परिसर के बाहर छात्रों और स्थानीय लोगों का नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन चलता रहा। विश्वविद्यालय छह जनवरी को दोबारा खुला और नौ जनवरी से सेमेस्टर परीक्षा की घोषणा की गई लेकिन पुलिस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग को लेकर सोमवार को परीक्षा का बहिष्कार कर कुलपति का घेराव किया गया था।