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जमीयत उलेमा ए हिन्द के अजमेर में प्रस्तावित अधिवेशन का विरोध

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जमीयत उलेमा ए हिन्द के अजमेर में प्रस्तावित अधिवेशन का विरोध

अजमेर। मशरब ए चिश्त एवं सुन्नी हनफ़ी चिश्ती दारुल इफ्ता के प्रमुख सैय्यद फरीदुल हसन चिश्ती ने अजमेर के उंटडा में दिनांक 2 से 4 मार्च तक जमीयत उलेमा ए हिन्द (जो कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों की विचारधारा से प्रेरित है) के होने वाले अधिवेशन को प्रतिबंधित करने की मांग की है।

चिश्ती ने रविवार को स्वामी काम्प्लेक्स में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के आतंकी संगठनों की विचारधारा से प्रेरित भारत में स्थापित जमीयत उलेमा ए हिन्द की वास्तविकता को उजागर करते हुए कहा कि पाकिस्तानी संस्था जिसका संस्थापक अबुल उला मौदूदी है। इसी की एक शाखा हिंदुस्तान में जमात ए इस्लामी के नाम से चल रही है और यह शाखा आईएसआई के विचारधारा से प्रेरित है।

दूसरी संस्था भारत में मिर्जा गुलाम अहमद कादियानी के नाम से जानी जाती है। जिसका संचालन देवबंदी मक़तबा ए फिक्र से है और इसका मुख्यालय पाकिस्तान के पंजाब में स्थित है।

तीसरी संस्था जमात-उद-दावा के नाम से जानी जाती है। इसका संचालक हाफिज सईद है जो पाकिस्तान में भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त है और प्रतिदिन भारत विरोधी षड्यंत्र रचता है। इसी विचारधारा से संबंध रखने वाले इस के दो अन्य साथी तारिक जमील अजहर मसूद है यह दोनों कट्टरपंथी विचारधारा से प्रेरित है यह और उनके अन्य साथी आतंकवादी विचारधारा को प्रोत्साहित करते हैं।

चौथी संस्था जमीअतुल उलमाए पाकिस्तान के नाम से जानी जाती है इसका संचालक मौलवी फजलुर रहमान है। भारत में इसी संस्था से प्रेरित होकर जमीअत उलमा ए हिंद संस्था की स्थापना की गई है जो सूफी मत और भक्ति आंदोलन के खिलाफ गतिविधियों में लिप्त हैं।

पांचवी संस्था दावते इस्लामी बनाम दावते इलियासी के नाम से जानी जाती है इसका मुख्यालय पाकिस्तान के कराची में स्थित है यह पाकिस्तान से एक मदनी चैनल का प्रसारण करता है जिसके माध्यम से भारत में राष्ट्र विरोधी भावनाओं का प्रसारण करता है। यह संस्था भी तबलीगी जमात से प्रेरित होकर स्थापित हुई है इसकी विचार धारा भी देवबन्दी विचार धारा से प्रेरित है। यह संस्था कट्टरपंथी व राष्ट्रविरोधी मत रखती है। इस संस्था का यह कहना है कि अपना मरकज़ खानकाहों से दूर बनाओ, खानकाहों से कोई काम नहीं होता।

इस प्रकार का मत प्रकट करके सूफी मत एवं भक्ति आंदोलन (जो भाई-चारा का उपदेश देती है और गंगा जमनी धारा एवं प्रेम रस से प्रेरित है) का विरोध करती है। यह संस्था अपने अनुयायियों को बढ़ाने के लिए लोगों को धन का प्रलोभन देती है।

इस आतकंवादी संस्था को भंग किया जाना चाहिए और इसकी गतिविधियों पर पैनी दृष्टि रखते हुए पूर्णतयः प्रतिबन्ध लगाया जाए। इसकी पहचान भारत में सिर पर हरी पगड़ी बांधना और गले में कत्थई रंग की ओढ़नी ओढ़ना है। उन्होने कहा कि हम भारत सरकार को अवगत कराना चाहते हैं कि यह सभी वही संस्थाएं हैं जिनके अनुयायी भारतीय सेना पर समय-समय पर आत्मघाती हमला और पत्थरबाजी करते हुए आए हैं।

वर्तमान में हुए पुलवामा आतंकी हमला भी इन्हीं विचारधाराओं द्वारा किया गया एक कुकृत्य है। हम पक्ष एवं विपक्ष दोनों से ही निवेदन करते हैं की इन संस्थाओं को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर भारतीय सीमा सुरक्षा को मजबूत करें और सीमा के बाहर व सीमा के भीतर भी इन राष्ट्र विरोधी तत्वों पर सर्जिकल स्ट्राइक करें।

साल 2016 में भी हमारी ओर से मीडिया एवं प्रशासन को इसी प्रकार का प्रेस नोट सौंपा जा चुका है जिसमे राष्ट्र विरोधी संस्थाओं को प्रतिबंधित करने की मांग की गई थी परंतु प्रशासन ने यह कहते हुए हमें निशब्द कर दिया कि हमारा मंत्रालय इन्हें ऐसे अधिवेशन करने की आज्ञा देता है।

हमारा सीधा प्रश्न भारत सरकार से यह है कि वह आखिर ऐसे राष्ट्र विरोधी कार्य में लिप्त संस्थाओं को किसी भी प्रकार के कार्यक्रम की आज्ञा क्यों देती है? जिससे हमारे देश की भीतरी सुरक्षा संकट में आ जाए। जब जब ऐसी राष्ट्र विरोधी विचारधारा ने किसी भी प्रकार का अधिवेशन करना चाहा तब तब हमने हमारी व हमारी संस्था की ओर से इस विचारधारा का विरोध किया है साथ ही इन के कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की है और भविष्य में भी करते रहेंगे।

जो भारतीय इनकी विचारधारा का शिकार होते हैं हम उनके परिवार वालों को समझाते हैं और उन से निवेदन करते हैं कि वह भारतीय सरकार से इस संस्था के संपूर्ण गतिविधियों को प्रतिबंधित करने की मांग करें परंतु हमें दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि भारतीय सरकार ने अब तक इनके विरुद्ध किसी भी प्रकार का कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया है और ना ही अब तक इनके किसी भी अधिवेशन को रद्द करने का आदेश जारी किया है।

एक तरफ तो हमारी भारत सरकार देश भक्ति की बातें करती है परंतु वहीं दूसरी ओर ऐसे राष्ट्र विरोधी संस्थाओं को अधिवेशन की आज्ञा देकर उनके साथ खड़ी नजर आती है। यह अत्यंत दुख का विषय है क्योंकि यह राष्ट्रभक्ति विचारधारा नहीं बल्कि राष्ट्र विरोधी विचारधारा है हम सभी भारतीयों को मिलकर ऐसी राष्ट्र विरोधी विचारधाराओं को जड़ से उखाड़ फेंकने की शपथ लेनी चाहिए।

हमें यह भी प्रण करना चाहिए कि अब हम उसी पार्टी को अपना कीमती वोट देंगे जो ऐसे राष्ट्र विरोधी संस्थाओं को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने के लिए ठोस कदम उठाएगी और इनके समस्त टीवी व सोशल मीडिया चैनलों को भी प्रतिबंधित करेगी। यही उपदेश हमें हमारे धर्म गुरु हजरत ख्वाजा गरीब नवाज ने दिया है क्योंकि यही हमारा सुन्नी सूफी मत है। भारत से इन विचारधाराओं को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए इनकी वास्तविकता को सबके सामने रखने के लिए हमारी संस्था द्वारा एक किताब अमन का पैगाम भी प्रकाशित किया गया है।