जम्मू। जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने पत्थरबाजी के 9,730 मामले वापस ले लिए हैं। यह जानकारी मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को विधानसभा में दी। उन्होंने लिखित में जबाब देते हुए कहा कि सरकार ने पिछले दो साल में पत्थरबाजी की छोटी घटनाओं में शामिल 4000 से ज्यादा लोगों के लिए माफी की सिफारिश की गई है।
उन्होंने कहा कि पत्थरबाजों और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए पहली बार उन्होंने आरोरियों की पहचान उजागर नहीं की। मुख्यमंत्री ने विवरण देते हुए कहा कि 2016 और 2017 में 3,773 मामले दर्ज हुए थे। इसके तहत 11,290 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी जबकि 233 लोग लापता हैं।
उन्होंने कहा कि इस दौरान सात मामले सिद्ध नहीं हुए, 1,692 मामलों में चार्जशीट दाखिल हुई और 1,841 मामलों में जांच जारी है। आठ जुलाई 2016 को अनंतनाग में सुरक्षा बलों से मुठभेड़ के दौरान हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर घाटी में हिंसा विस्फोटक रूप से बढ़ गई थी। 2016 में घाटी में सुरक्षा बलों से संघर्ष में लगभग 85 लोगों की मौत हो गई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां 2016 में पत्थरबाजी के 2,904 मामले दर्ज कर 8,570 लोगों को गिरफ्तार किया गया वहीं 2017 में ऐसे मामलों में कमी आई और मात्र 869 मामले दर्ज हुए और 2,720 लोग गिरफ्तार हुए।
उन्होंने कहा कि 2016 और 2017 में श्रीनगर में 2,330 लोग (सर्वाधिक) लोग गिरफ्तार हुए इसके बाद बारामूला में 2,046, पुलवामा में 1,385, कुपवाड़ा में 1,123, अनंतनाग में 1,118, बड़गाम में 783, गांदरबल में 714, शोपियां में 694, बांदीपोरा में 548, कुलगाम में 547 और डोडा में दो लोग गिरफ्तार किए गए।
उन्होंने कहा कि पत्थरबाजी के 4,949 मामलों में 56 सरकारी कर्मचारी, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के 16 कार्यकर्ता दोषी पाए गए जबकि 4,074 लोगों का सम्बंध किसी आतंकवादी संगठन या अलगाववादी संगठन से नहीं था।