श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में एक और लक्षित हमले में आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडित की गोली मारकर हत्या कर दी और हमले में पीड़ित का भाई घायल हो गया है।
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) ने कहा कि मंगलवार को हुई लक्षित हत्या से कश्मीरी पंडित समुदाय में दहशत फैल गई है। केपीएसएस ने हिंदू समुदाय के लोगों से घाटी छोड़ने की अपील की।
पुलिस ने कहा कि शोपियां के चोटीगाम इलाके में अल्पसंख्यक समुदाय के दो नागरिक सुनील कुमार और पिंटू कुमार को आतंकवादियों ने निशाना बनाकर गोली मार दी गई। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि उनमें से सुनील कुमार की मौत हो गई और पिंटू घायल हो गया।
पुलिस ने हमले के लिए आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया है। हमले के तुरंत बाद, हमलावरों का पता लगाने के लिए सघन तलाश अभियान शुरू किया गया है।
बडगाम जिले के गोपालपोरा गांव में सोमवार शाम आतंकवादियों द्वारा ग्रेनेड फेंकने के बाद अल्पसंख्यक समुदाय का एक सदस्य घायल हो गया था। जिले में पिछले 15 घंटे के भीतर यह दूसरा लक्षित हमला है।
कश्मीर में इस वर्ष मारे गए कश्मीरी पंडितों में सुनील दूसरा कश्मीरी पंडित हैं। इससे पहले गत 12 मई को कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की बडगाम जिले में उनके सरकारी कार्यालय में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
राहुल की हत्या का कश्मीरी पंडित समुदाय द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन किया गया था। तब से प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत काम करने वाले 5,000 से अधिक कश्मीरी पंडित कर्मचारी कश्मीर से लौट आए थे। तब से उन्होंने लक्षित हमलों के डर से अपना काम फिर से शुरू नहीं किया है।
कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट्ट और एक महिला टीवी कलाकार अमरीन भट की हत्या में कथित रूप से शामिल एक शीर्ष कमांडर लतीफ राथर सहित लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादियों के बडगाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने के छह दिन बाद गैर प्रवासी पंडित सुनील की हत्या हुई है।
आतंकवादी राथर की हत्या के बाद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजय कुमार ने कहा कि कुलगाम के बासित डार को छोड़कर अलग-अलग मुठभेड़ों में लक्षित हत्या में शामिल सभी आतंकवादियों को सफाया किया गया है।
आतंकवादियों ने इस साल लगभग 15 नागरिकों की लक्षित हत्याएं की हैं जिनमें ज्यादातर गैर स्थानीय और पंचायत सदस्य हैं। लक्षित हमलों में चार पुलिसकर्मियों की भी मौत हो गई है। अल्पसंख्यक समुदाय ने उनके एक सदस्य की हत्या के मामले में जम्मू-कश्मीर सरकार और मुख्यधारा के राजनीतिक दलों की व्यापक निंदा की है।
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