श्रीनगर। आतंकवादियों की धमकियों के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर सरकार ने शुक्रवार को अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों से अपनी यात्रा को कम कर जितनी जल्दी संभव हो कश्मीर घाटी छोड़ने की सलाह दी है।
गृह विभाग के प्रधान सचिव शालीन काबरा ने आज इस संबंध में परामर्श जारी किया। परामर्श के अनुसार आतंकवादियों की धमकी और वर्तमान स्थिति को देखते हुए श्रद्धालु और पर्यटकों से कहा गया है कि वे अपनी यात्रा अवधि में कटौती करके घाटी से चले जाएं।
प्रशासन ने कहा है कि यह सलाह दी जाती है कि श्रद्धालु-पर्यटक अपनी घाटी की यात्रा अवधि को तुरंत कम करके जितनी जल्दी संभव हो वापस लौटने का प्रयास करें।
प्रशासन की तरफ से यह एडवाइजरी उन रिपोर्टों के बीच आई है जिनमें केंद्र सरकार की तरफ से घाटी में 28 हजार अतिरिक्त सुरक्षा कर्मियों को भेजने के अलावा सेना और वायुसेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
इस बीच सेना की 15 कोर के जनरल आफिसर कमाडिंग लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने आज संवाददाता सम्मेलन में कहा पाकिस्तान और उसकी सेना कश्मीर घाटी में शांति भंग करने के लिए प्रयासरत है।
लेफ्टिनेंट ढिल्लों ने कहा कि पाकिस्तान और उसकी सेना के समर्थन से आतंकवादियों के अमरनाथ यात्रा को लक्ष्य बनाने का प्रयास निष्फल किया गया । उन्होंने कहा कि पाकिस्तान निर्मित एंटी पर्सनल माइन, आईईडी और एक स्नीपर राईफल समेत बड़ी मात्रा में हथियार बालटाल और पहलगाम मार्गों से बरामद किए गए हैं।
उधर, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अमरनाथ यात्रियों को कश्मीर छोड़ने की सलाह पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने हुए इसे असाधारण करार दिया और कहा कि सरकार का यह निर्णय अमरनाथ यात्रियों पर आतंकवादी हमले की आशंका से जुड़ा हुआ है, इसका घाटी में भय के माहौल से संबंध नहीं है।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि इस असाधारण आदेश को अमरनाथ जी यात्रा पर आतंकवादियों के बड़े हमले की आशंका के रूप में देखना चाहिए। इसका घाटी में भय का माहौल से कोई संबंध नहीं है।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि वास्तव में आप सोचते होंगे कि सरकारी आदेश में पर्यटकों से तुरंत घाटी छोड़ देने को कहा गया है, लेकिन इसे घाटी में भय के माहौल से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता है।