अजमेर। शिक्षा एवं पंचायतीराज राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि जनक नंदिनी माता सीता त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति के रूप में जानी जाती हैं। समाज को उनसे संस्कार और जीवन प्रबंधन के बारे में सीख लेनी चाहिए। समाज को सद्मार्ग और संस्कारित मार्ग पर चलाने के लिए प्रत्येक परिवार को रामायण को जीवन में अंगीकार करना चाहिए।
राज्य सरकार युवाओं को समाज विकास के प्रति प्रेरित करने के लिए पूरी गंभीरता के साथ काम कर रही है। स्कूली शिक्षा में ऐसी प्रेरक जीवनियों, घटनाओं, धर्म और महापुरुषों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है ताकि हमारी युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति पर गर्व कर सके।
शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी ने रविवार को मैथिल ब्राह्मण समाज द्वारा लोको खेल मैदान पर जनक नंदिनी माता सीता जन्म महोत्सव पर आयोजित खेल प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मां सीता सहस्त्राब्दियों से समाज के लिए प्रेरक रही हैं। हमारी सैकड़ों पीढियों ने उनसे त्याग और समर्पण का पाठ सीखा है। मां सीता हिंदू धर्म में सदैव नारी शक्ति की ध्वजवाहक के रूप में पूजी जाती रहेंगी। हमारी युवा पीढ़ी को उनसे जीवन को सहजता से जीने की सीख लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि रामायण हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। एक राजा होने के बावजूद राम जिस तरह आमजन के दुख-दर्द को महसूस करते थे, अन्याय के खिलाफ लड़ते थे, सबको समान रूप से प्रेम करते थे यह सब बातें प्रत्येक मनुष्य आत्मसात कर ले तो वह कभी विफल नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने युवा पीढ़ी को अपनी विपुल भारतीय संस्कृति से अवगत कराने, उस पर गर्व करना सिखाने तथा उसे आगे बढ़ाने के लिए गंभीरता से प्रयास शुरू किए हैं।
देवनानी ने कहा कि राज्य के स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में हमारे धर्म, देश और संस्कृति को प्रेरणा देने वाले सभी महत्वपूर्ण लोगों, महापुरुषों, देवताओं आदि को उचित स्थान दिया गया है। युवा ही एक बेहतर समाज को निर्माण कर सकते हैं। देश की संस्कृति को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी युवाओं के कंधों पर है।
कार्यक्रम में शिक्षा राज्यमंत्री ने स्थानीय पार्षद नीतू मिश्रा के साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेताओं को पुरस्कृत किया। मैथिल ब्राह्मण समाज द्वारा देवनानी का अभिनंदन किया गया।
इस अवसर पर रंजन शर्मा, लोकेंद्र शर्मा सहित समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इससे पूर्व विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताओं में समाज के लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। महिलाओं की चम्मच रेस सभी के आकर्षण का केंद्र रही। रेस में समाज के बच्चों ने दमखम दिखाया।