श्री कृष्ण जन्माष्टमी कृष्ण जन्म भूमि मथुरा में, द्वारिका में और बांके बिहारी वृंदावन में उत्सव मनाया जाता है, भागवत पुराण के श्री कृष्णा अवतार से सभी परिचित हैं, श्री कृष्ण की बाल्यावस्था की शरारतें जेसे की दही माखन चुराना, मटकी फोड़ना उस तरह के कार्यक्रम खेल समारोह रखा जाता है, इंद्र के विरुद्ध उनका हट जिस में गोवर्धन पर्वत अपनी उंगली पर उठा लेते हैं ताकि गोकुल वासी ओ को अति वर्षा से बच सके, कालिया नाग से युद्ध व उसके हज़ारों फन पर नृत्य, उनकी लुभाने वाली बांसुरी का स्वर,
कंस द्वारा भेजे गए गुप्त चारों का वध ये सभी प्रकार के प्रयोग अति रोचक हे, जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी निश्चित रूप से रंगों से सराबोर हो उठती है श्री कृष्ण जन्माष्टमी बड़ी धाम धूम से मनाई जाती है, मंदिरों में भारी भीड़ होती है हिन्दू भारतीय लोगों ये पौराणिक काल से मनाए जाता ये उत्सव हे, लोग पंचामृत से रात 12 बजे के बाद व्रत खोलते हैं, उससे पहले जन्माष्टमी के तीन दिन पहले नाग पंचमी के दिन नाग पूजा की जाती है, छह वी के दिन व्यंजन बनाए जाते हैं वो सातवे के दिन पूजा करके खाते हैं, और अष्टमी के दिन कृष्ण मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं ।