मथुरा । उत्तर प्रदेश के मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म महोत्सव शास्त्रीय मर्यादाओं एवं परंपराओं के अनुसार तीन सितम्बर को मनाया जाएगा।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के सचिव कपिल शर्मा ने गुरूवार को यहां बताया कि मथुरापुरी का महिमा का गायन श्रीमद्भागवत, महाभारत, गर्ग संहिता, अष्टादस पुराण समेत अनेकानेक उत्कीर्ण संस्कृत अभिलेखों में किया गया है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म महोत्सव तीन सितम्बर को मनाया जाएगा।
उन्होने बताया कि ब्रजभूमि का सबसे बड़ा पर्व होने के कारण जहां ब्रज के विभिन्न मंदिरों में जन्माष्टमी की व्यवस्थाए अभी से शुरू हो गई हैं वहीं श्रीकृष्ण जन्मस्थान में तीर्थयात्रियों का अपार जनसमूह एकत्र होने के कारण वहां पर व्यवस्थाए बहुत पहले से ही शुरू हो गई हैं। जन्मस्थान में जन्म के दर्शन करने के लिए अपार जनसमूह जुड़ता है और प्रत्येक दर्शनार्थी को प्रसाद दिया जाता है। जन्माष्टमी के लिये प्रसाद का बनना अभी से शुरू हो गया है।
शर्मा ने बताया कि श्रीकृष्ण-जन्मभूमि के संपूर्ण परिसर को अद्भुद कलात्मकरूप से सजाया जा रहा है। जन्मभूमि के संपूर्ण प्रांगण, भवनों एवं देवालयों को ब्रज के भावुक भक्त सज्जाकारों के साथ-साथ देश के विभिन्न भागों से आए कारीगर अद्भुद्स्वरूप प्रदान करने के लिए दिन-रात साज-सज्जा एवं विद्युत सजावट के कार्यों में लगे हुये हैं।
संस्थान का प्रयास है कि जन्मभूमि के अंदर से अथवा परिसर के बाहर से श्रद्धालुगण जिस दिशा से भी श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करेंगे, वहीं से उनको जन्मभूमि की नयनाभिराम छटा के दर्शन प्राप्त हों।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के सचिव ने बताया कि जन्मभूमि परिसर में स्थित श्रीकेशवदेव मंदिर में विविध प्रकार के पुष्प-पत्र एवं वस्त्रों से निर्मित भव्य बंगले में ठाकुरजी विराजमान होंगे। भगवान की प्राकट्य भूमि एवं कारागार के रूप में प्रसिद्ध गर्भगृह की सज्जा चित्ताकर्षक होगी। मंदिर के प्राचीन वास्तु के अनुरूप गर्भगृह के भीतरी भाग को सजाया जायेगा। पुष्प, रत्न प्रतिकृति के अद्भुद संयोजन से गर्भगृह के मूल स्वरूप में बिना कोई परिवर्तन किये दिव्य स्वरूप प्रदान किया जायेगा। साथ ही पर्व के अनुकूल प्रकाश का संयोजन भी गर्भगृह की भव्यता एवं दिव्यता में वृद्धि करेगा।
उन्होंने बताया कि जन्म अभिषेक के दर्शन भागवत भवन में होंगे इसलिए इसकी सजावट विशेष रूप से की जा रही है। संपूर्ण भागवत भवन की सज्जा में विभिन्न पत्र-पुष्प, वस्त्र आदि के अद्भुत संयोजन से ‘सुवर्ण आभा’ स्वरूप प्रदान किया जायेगा। प्राचीन शैली में निर्मित इस भव्य ‘सुवर्ण आभा’ में विराजमान ठाकुरजी अत्यन्त ही मनोहारी स्वरूप में भक्तों को दर्शन देंगे। जन्माभिषेक स्थल की दीवारों को प्राचीन भवनाकृति के स्वरूप में सजाया जायेगा।
इस पवित्र अवसर पर ठाकुरजी रेशम, जरी एवं रत्न प्रतिकृति के सुन्दर संयोजन से बनी ‘कमलाकृति’ पोशाक धारण करेंगे। श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी तीन सितम्बर सोमवार को प्रातः मंगला-दर्शन से पूर्व भगवान इसी पोशाक को धारण कर दर्शन देंगे। पोशाक में रत्न एवं रेशम का उपयोग करते हुये कमल-पुष्प, पत्ती, लता-पता आदि की जड़ाई की गयी है।
शर्मा ने बताया कि जन्माष्टमी की पूर्व संध्या दो सितम्बर रविवार को सांय 6ः00 बजे श्रीकेशवदेव मंदिर से संत एवं भक्तजन ढोल-नगाड़े, झांझ-मंजीरे, के मध्य भगवान श्री राधाकृष्ण की दिव्य पोशाक अर्पित करने के लिए संकीर्तन करते हुये जायेंगे। पोशाक, मुकुट, श्रंगार, दिव्य मोर्छलासन, कामधेनु गाय की प्रतिकृति एवं दिव्य रजत कमल के विशेष दर्शन होंगे।
इस वर्ष सुन्दर जरी, रेशम एवं रत्नप्रतिकृतियों के संयोजन से दिव्य ‘ब्रजरत्न’ मुकुट, जन्माष्टमी के पवित्र दिन ठाकुरजी धारण करेंगे। दो सितम्बर रविवार की सांय 6ः30बजे भागवत भवन में जन्म महोत्सव की ‘कमलाकृति’ पोशाक, मोर्छलासन, स्वर्ण मण्डित रजत कामधेनु स्वरूपा गौ प्रतिमा एवं ‘ब्रजरत्न’ मुकुट के एवं दिव्य रजत कमल-पुष्प के विशेष दर्शन होंगे।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के सचिव ने बताया कि तीन सितम्बर को प्रातः दिव्य शहनाई एवं नगाड़ों के वादन के साथ भगवान की मंगला आरती के दर्शन होंगे। इसके बाद भगवान का पंचामृत अभिषेक वैदिक मंत्रों के मध्य किया जायेगा। प्रातः 10ः00 बजे श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास एवं काष्र्णि गुरूशरणानन्द महाराज के भावमय सानिध्य में दिव्य पुष्पाॅंजलि का कार्यक्रम श्रीकृष्ण जन्मभूमि के सिद्ध लीलामंच पर संपन्न होगा।
श्री शर्मा के अनुसार जन्म महाभिषेक का मुख्य एवं अलौकिक कार्यक्रम रात्रि 11ः00 बजे श्रीगणेश-नवग्रह आदि पूजन से शुरू होगा। रात्रि 12ः00 बजे भगवान के प्राकट्य के साथ संपूर्ण मंदिर परिसर ढोल-नगाड़े, झाॅंझ-मंजीरे और मृदंग एवं हरिबोल , शंखध्वनि एवं करतल ध्वनि से गूंज उठेगा। भगवान के जन्म की महाआरती शुरू होगी जो रात्रि 12ः10 बजे तक चलेगी। ढोल एवं मृदंग अभिषेक स्थल पर तो बजेंगे ही साथ-ही-साथ सपूर्ण मंदिर परिसर में स्थान-स्थान पर भी इनका वादन होगा। इसके बाद केसर आदि सुगन्धित द्रव्यों से लिपटे हुये भगवान श्रीकृष्ण के चल विग्रह मोर्छलासन में विराजमान होकर अभिषेक स्थल पर पधारेंगे।
पौराणिक एवं शास्त्रीय परंपराओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान के जन्म महाभिषेक महोत्सव के दर्शन करने के लिए देव, देवाधिदेव महादेव सहित 33 कोटि देवतागण उपस्थित रहते हैं। भगवान का प्रथम जन्माभिषेक स्वर्ण मण्डित रजत से निर्मित कामधेनु स्वरूपा गौमाता करेंगी। शास्त्रीय मान्यता है कि गौमाता में स्वयं 33 कोटि देवतागण वास करते हैं। रजत कमलपुष्प में विराजमान ठाकुरजी के श्रीविग्रह का अभिषेक स्वर्ण मण्डित रजत गौ विग्रह के पयोधरों से निकली दुग्धधारा से होगा। ठाकुरजी के अभिषेक से पूर्व गौमाता का पूजन कर देवताओं का आव्हान किया जायेगा।
ठाकुरजी के श्रीविग्रह का दूध, दही, घी, बूरा, शहद आदि सामग्री से दिव्य महाअभिषेक किया जायेगा। जन्माभिषेक के उपरान्त इस महाप्रसाद का वितरण जन्मभूमि के निकास द्वार के दोनों ओर वृहद मात्रा में किया जायेगा। भगवान का जन्म महाभिषेक रात्रि 12ः15 बजे से रात्रि 12ः30 बजे तक चलेगा। तदोपरान्त 12ः40 से 12ः50 तक श्रंगार आरती के दर्शन होंगे। जन्म के दर्शन रात्रि 1ः30 बजे तक खुले रहेंगे।
द्वापर के वन उपवन की महत्ता का वर्णन करते हुए कपिल शर्मा ने बताया कि इस बार जन्मस्थान आनेवाले तीर्थयात्रियों से वृक्ष लगायें, जीवन बचायें-पर्यावरण को सुरक्षित बनायें का मूलमंत्र दिया जाएगा क्योंकि जन्मस्थान आनेवाले लगभग 20 लाख तीर्थयात्रियों में से आधे भी यदि इसका अनुशरण कर लेंगे तो पर्यावरण संरक्षण में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।