हिसार/चंडीगढ़। जननायक जनता पार्टी के संरक्षक डॉ. अजय सिंह चौटाला ने कहा है कि कांग्रेस शासन में पहले देश में घोषित आपातकाल लागू हुआ था और अब भाजपा शासन में अघोषित आपातकाल लगा हुआ है। अगर इस बार फिर से भाजपा का दांव लग गया तो ये लोग आपके वोट का अधिकार ही छीन लेंगे।
डा. चौटाला गुरुवार को यहां उत्सव गार्डन में कार्यकत्र्ताओं की एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान गांव आदमपुर, खारा-बरवाला, दडोली के करीब 50 लोगों ने अलग-अलग पार्टियों को छोडक़र जजपा में शामिल होने की घोषणा की।
उन्होंने भाजपा पर जमकर प्रहार करते हुए कथित राष्ट्रवाद, बेरोजग़ारी, किसानों की हालत, फसलों के भाव, कालाधन, बेटियों की असुरक्षा आदि मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमित शाह को घेरते हुए कहा कि इनके लिए शहीद हुए सैनिकों के नाम पर वोट मांगना ही सच्चा राष्ट्रवाद है।
सालाना 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा करने वाली भाजपा सरकार अब नौकरियां देने की बजाय छीन रही है, किसानों को औने-पौने दामों पर भी अपनी फसल बेचने के लिए पूरा दिन लाइन में लगना पड़ता है। जजपा संरक्षक ने कहा कि परिवारवाद का रोना रोने वाली पार्टी भाजपा ने ही हिसार से बृजेन्द्र सिंह को टिकट देकर परिवारवाद का सबसे बड़ा उदाहरण पेश किया है।
उन्होने कांग्रेस को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 70 साल सत्ता में रहने के बाद अब ये न्याय की बात कर रहे हैं। 70 सालों में ही जब न्याय नहीं कर पाए तो अब क्या न्याय करेंगे।
डा.चौटाला ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस शासन के दौरान हुई ज़्यादितियों को भी आदमपुर के लोग भूले नहीं हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की प्रशंसा करते हुए उन्होंने काम के आधार पर हिसार से जजपा-आप के संयुक्त प्रत्याशी दुष्यंत चौटाला को जीताने की अपील की।उन्होने कहा कि जेजेपी जननायक की नीतियों पर चलते हुए किसानों, मजदूरों, व्यापारियों, महिलाओं, विद्यार्थियों व आम आदमी के हितों और उत्थान के लिए कृतसंकल्प है।
उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे भाजपा -कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए जेजेपी प्रत्याशी को विजयी बनाने के लिए कमर कस लें और दिन रात एक करके घर-घर जाकर पार्टी से लोगों को जोडऩे का काम करें।
इस अवसर पर जयपाल बंडाहेडी, नफे सिंह बाल्मिकी, राजकुमार भोला, रमेश गोदारा, भरत सिंह बैनीवाल, कृष्णा भाटी सुल्तान लाडवी, श्रवण बिश्नोई, अभिषेक बिश्नोई, भीम लौरा, रमेश गोदारा जाखोद, राजकुमार जांगड़ा, रामप्रसाद गढ़वाल, मुंशीराम बैनीवाल, प्रहलाद गोदारा, जगदीश गर्ग, नरेंद्र नूनियां, नरेश गर्ग आदि उपस्थित थे।