अजमेर/नई दिल्ली। जनवादी लेखक संघ ने अजमेर के साहित्योत्सव में हिंसा एवं तोड़-फोड़ के कारण मशहूर फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह को बोलने से वंचित करने की घटना की कड़ी निंदा की है और इस घटना के पीछे संघ परिवार और भाजपा कार्यकर्ताओं का हाथ होने का आरोप लगाया है।
जलेस के महासचिव मुरली मनोहर प्रसाद सिंह द्वारा रविवार को यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि शाह की ओर से हाल में दिए गए बयान के कारण सांप्रदायिक शक्तियों ने साहित्योत्सव के पंडाल में घुसकर तोड़-फोड़ की और होर्डिंग फाड़ दिए तथा उनके खिलाफ नारेबाजी की जिसके कारण शाह को मंच पर लाया नहीं जा सका।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर इस तरह अराज़क और हिंसक हमले की कोई गुंजायश नहीं है लेकिन लेखकों और कलाकारों पर इस तरह के हमले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। शाह ने देश के माहौल पर अपने मन की बात कही थी लेकिन हिंदुत्व वादियों को उनकी बात नागवार गुजरी। जबकि शाह ने न तो किसी संगठन और न ही किसी का नाम लिया था।
जलेस ने इस बात पर चिंता जताई कि घटनास्थल पर केवल दो पुलिसकर्मी थे और स्थानीय प्रशासन मूक बना रहा जबकि शाह को सुरक्षा प्रदान करना कांग्रेस की जिम्मेदारी थी और उसने यह जिम्मेदारी नहीं निभाई। विज्ञप्ति में घटना की जांच कर दोषी उपद्रवियों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की गयी है।
नसीरूद्दीन मामले में माकपा ने सरकार की आलोचना
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने फिल्मकार नसीरूद्दीन शाह को लिटरेचर फेस्टीवल का उद्घाटन नहीं करने देने तथा पोस्टर फाड़ने की घटना का विरोध किया है। माकपा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पहली बार में ही साम्प्रदायिक तत्वों के सामने घुटने टेकते हुए उन्हें उत्पात मचाने की खुली छूट दी। इससे ज्यादा शर्मनाक बात सरकार के लिए और क्या हो सकती है।
घटना के बाद कार्यक्रम को असफल होने के बाद सरकार ने भाजयुमों के पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर यही कहावत चरितार्थ की कि सांप मर गया और लकीर पीटते रहे।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का राज्य सचिव मण्डल ने इस घटनाक्रम की कड़ी भर्त्सना करते हुए सरकार से मांग की है कि दोषी पुलिस अधिकारियों तथा उत्पात मचाने वाली सभी साम्प्रदायिक तत्वों पर शीध्र कार्यवाही की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर पुख्ता रोक लगाई जाए।