नयी दिल्ली । केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) अब लर्निंग आउटकम के आधार पर नए स्कूलों को मान्यता देगी और उन्हें सीबीएसई के बजाय राज्यस्तर पर अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा। यह जानकारी मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर ने गुरुवार को पत्रकारों को दी।
जावडेकर ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और सुधार लाने के लिए स्कूलों को मान्यता देने के मामले में सीबीएसई की नियमवाली में बदलाव किया गया है। पहले नए स्कूलों को सीबीएसई की मान्यता लेने के लिए पहले राज्य से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होता था फिर सीबीएसई भी जाँच कर दोबारा अनापत्ति प्रमाण पत्र देती थी। इस तरह दोहराव होता था और काफी समय भी लगता था। कई मामलों में तो दस दस साल तक आवेदन लंबित रहता था लेकिन अब स्कूलों को केवल जिला शिक्षा अधिकारी से अनापति प्रमाण पत्र लेना होगा। सीबीएसई लर्निंग आउटकम के आधार पर उन स्कूलों को मान्यता देगी और इसके लिए वह स्कूलों का दौरा कर इसकी जांच करेगी। इस से गुणवत्ता को ही मान्यता मिल सकेगी।
उन्होंने कहा कि दूसरा परिवर्तन यह किया गया है कि अब वे अपना आवेदन ऑनलाइन जमा करेंगे जिस से समय की भी बचत होगी। देश में सीबीएसई के बीस हज़ार 700 स्कूल हैं और हर साल दो हज़ार से अधिक नए स्कूलों को मान्यता दी जाती है पिछले कई वर्षों से इतने आवेदन लंबित पड़े थे कि हमें गुण-दोष के आधार पर आठ हज़ार मामले निबटाये।