नयी दिल्ली । भारी वित्तीय संकट से जूझ रही निजी विमान सेवा कंपनी जेट एयरवेज के परिचालन में मौजूद विमानों की संख्या घटकर 15 से भी कम रह गयी है जिस कारण उसकी अंतर्राष्ट्रीय सेवा पर प्रतिबंध लग सकता है।
नागर विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला ने बुधवार सुबह यह जानकारी दी। उन्होंने एक कार्यक्रम से इतर बताया कि इस समय जेट के 15 से भी कम विमान परिचालन में हैं और इसलिए अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए उसे दी गयी अनुमति पर पुनर्विचार किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि किसी विमान सेवा कंपनी के पास 20 से ज्यादा विमान होने पर ही उसे अंतर्राष्ट्रीय परिचालन शुरू करने की अनुमति दी जाती है। हालाँकि, यह विशेष परिस्थिति है जहाँ कंपनी को पहले से ही अनुमति मिली हुई है और विमाना का किराया नहीं चुकाने के कारण अब उसके विमानों की संख्या कम हो गयी है। मंगलवार को कंपनी ने पट्टेदारों को किराया नहीं चुकाने के कारण 15 और विमानों के ग्राउंडेड होने की सूचना दी थी।
एयरलाइंस ने कहा है कि नकदी संकट के कारण वह किराये की राशि नहीं चुका पायी है। उसने कहा है कि नकदी संकट हल करने के लिए किये गये उपायों के बारे में उसने विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों को बताया गया है।
उल्लेखनीय है कि जेट एयरवेज ऋणदाताओं को भी भुगतान करने में विफल रही है। दिवाला प्रक्रिया के तहत भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम ने उसके ऋण के बदले इक्विटी के माध्यम से हिस्सेदारी लेने का फैसला किया है जिसे एयरलाइंस के बोर्ड ने भी मंजूरी दे दी है। एसबीआई तत्काल 1,500 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध कराने पर भी सहमत हुआ है, लेकिन कर्मचारियों के बकाये, विमान ईंधन के लिए भुगतान, हवाई अड्डा शुल्क और विमानों के किराये के मदद में भारी बकाये को देखते हुये यह राशि काफी कम है।
नागर विमानन मंत्रालय में पिछले सप्ताह के आरंभ में जेट एयरवेज को लेकर हुई बैठक के बाद नागर विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला ने बताया था कि एसबीआई की नकदी उपलब्ध कराने और प्रबंधन में बदलाव के मद्देनजर विमानों के पट्टेदारों से बात की जायेगी तथा यह सुनिश्चित किया जायेगा कि कोई और विमान ग्राउंडेड न हो। इसके बावजूद विमानों के ग्राउंडेड होने से साफ है कि बात बन नहीं सकी है।