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झांसी मेडिकल कॉलेज में यूं तार तार हुई इंसानियत - Sabguru News
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झांसी मेडिकल कॉलेज में यूं तार तार हुई इंसानियत

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झांसी मेडिकल कॉलेज में यूं तार तार हुई इंसानियत
Jhansi hospital makes man lie with severed leg under head
Jhansi hospital makes man lie with severed leg under head
Jhansi hospital makes man lie with severed leg under head

झांसी। उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित मेडिकल कॉलेज में शनिवार की एक घटना ने न केवल इंसानियत को शर्मसार किया है बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों और डॉक्टरों की मानवीय संवेदनाओं पर एक बडा सवालिया निशान लगा दिया है।

एक दुर्घटना में अपना पैर गंवाने वाले घनश्याम के लिए धरती के भगवान किसी राक्षस से कम नहीं नजर आए। घनश्याम की पत्नी हेमवती और चाची धनवती ने बताया कि सुबह साढे नौ बजे से शाम को तीन बजे तक वह अपने मरीज को लावारिसों को तरह लेकर मेडिकल कॉलेज में पडे रहे। इतने लंबे समय में किसी डॉक्टर को इतनी फुर्सत नहीं मिली कि वह गंभीर रूप से घायल मरीज की तरफ नजर उठा कर भी देख ले।

हेमवती ने बताया कि जब वह और उनकी चाची धनवती घनश्याम का कटा पैर और घनश्याम को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो उनके मरीज को स्ट्रेचर पर यूं ही डाल दिया गया। डॉक्टर के बारे में पूछने पर यही जवाब दिया गया कि दो घंटे में आएंगे। इस दौरान कटा हुआ पैर घनश्याम के पास ही रखा रहा।

धनवती ने बताया कि कोई उनकी बात सुनने को ही तैयार नहीं था। किसी को भी उनके मरीज की चिंता नहीं थी, वह सभी से डॉक्टर को जल्द से जल्द बुलाए जाने की गुहार लगाती रहीं लेकिन मौजूद किसी चिकित्साकर्मी के कान पर जूं तक भी नहीं रेंगी।

डॉक्टर के लिए भाग दौड के बीच ही उन्होंने एक नर्स से कटे पैर को रखने के लिए पन्नी मांगी तो नर्स ने टका सा जवाब दे दिया कि हम कहां से लाएं पन्नी। इसके बाद धनवती पास ही कहीं से पन्नी उठा लाई। मेडिकल कॉलेज के इन अधिकृत जल्लादों को सितम यहीं नहीं खत्म हुआ, काफी देर होने और घनश्याम को असहनीय पीडा होने पर बहुत गुजारिश करने पर उसे दर्द के दो इंजेक्शन लगाए गए।

धनवती ने उसके पैर के नीचे रखने के लिए जब तकिया मांगा तो उसके लिए भी मना कर दिया गया। जिसके बाद धनवती बाहर से कोई गंदा से तकिया ले आई और घनश्याम के पैर के नीचे रखा। इसी बीच घनश्याम का कटा हुआ पैर ही उसके सिर के नीचे रख दिया गया।

धनवती ने बताया कि काफी समय बीत जाने और उनके शोर शराबा मचाने के बाद एक डॉक्टर ने आकर कटे पैर पर पट्टी तो बांध दी लेकिन घनश्याम के पैर से खून का रिसाव उसके बाद भी जारी रहा। घनश्याम के ही एक तीमारदार ने बताया कि इसी बीच मीडिया के लोग आ गए और उन्होंने तस्वीरें ली जिसके बाद डॉक्टर और कर्मचारी उन पर भडक गए कि मीडिया को किसने बताया।

डॉक्टरों और ड्यूटी पर उपस्थित अन्य लोगों से इस बारे मे प्रश्न पूछे जाने पर सभी जवाब देने से बचते रहे और मीडिया पर ही आरोप लगाने लगे कि मरीज को बरगला कर उन्होंने ही कटा पैर घनश्याम के सिर के नीचे रखवाया था जबकि घनश्याम की पत्नी और चाची ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि मीडिया के पहुंचने के लगभग एक घंटा पहले से ही पैर घनश्याम के सिर के नीचे लगा था और लगभग दो घंटे से ज्यादा समय तक कटा पैर घनश्याम के सिर के नीचे लगा रहा।

इस दौरान वहां मौजूद किसी डॉक्टर या चिकित्साकर्मी ने यह सुधि नहीं दी कि उसके सिर के नीचे से पैर निकलवाए और उसे एक तकिया मुहैया कराए। हद तो तब हो गई जब रिपोर्ट बनाने के नाम पर 200 रूपए मांगे गए लेकिन घनश्याम के चाचा छविलाल के पास पांच सौ का नोट होने के कारण उन्होंने वहीं दे दिया बदले में ईएमओ (इमरजेंसी मेडिकल आफर) ने उन्हें एक भी पैसा वापस नहीं किया।

जब उन्होंने कहा कि साहब हमारे पास खाने को भी पैसा नहीं है कुछ तो दे दो ताकि हम कुछ खा सकें, हमारे पास यहीं 500 रूपए थे तो अधिकारी ने कहा कि तुम्हें दे देंगे तो हमें क्या मिलेगा। बहुत मनाने पर उसने 100 रूपए वापस किए। दुर्घटना मे बुरी तरह से जख्मी मरीज को यूं ही भगवान भरोसे छोड दिया गया और उसे कोई प्रभावी इलाज भी मुहैया नहीं कराया गया बल्कि रिपोर्ट के नाम पर 400 रूपए भी निगल लिए गए।

मेडिकल कॉलेज में छह घंटे तक अपने मरीज की दुर्गति कराने के बाद भी डॉक्टर को न आता देख इस गरीब परिवार के पास घनश्याम को किसी दूसरे अस्पताल में ले जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था क्योंकि उसके शरीर से खून की स्राव कम हो ही नहीं रहा था। इसके बाद घनश्याम के परिजन उसे एक प्राइवेट अस्पताल में ले गए जहां उसका इलाज किया जा रहा है और अब वह खतरे से बाहर है।

घनश्याम के पिता देवकी ने कहा कि घनश्याम चार साल का बेटा और तीन साल की बेटी है। उनका बेटा ही परिवार की कमाई का एकमात्र जरिया था। उसके पास सवा बीघा जमीन है लेकिन खेती से परिवार का भरण पोषण संभव नहीं होने के कारण ही उनका बेटा बस में क्लीनर का काम करता था और उसे तीन हजार वेतन के रूप में मिलता था।

घनश्याम के परिजनों ने सवाल उठाया कि एकमात्र कमाऊ पूत का एक पैर छिन जाने के बाद इस बूढे बाप और दो छोटे छोटे बच्चों की जिम्मेदारी कौन उठाएगा। अभी अपने लोगों से पैसे उधार लेकर किसी तरह से घनश्याम का इलाज प्राइवेट अस्पताल में कराया जा रहा है लेकिन यह पैसा कैसे वापस होगा और इन मासूम बच्चों के भविष्य का क्या होगा।

योगी ने पीडित युवक को दी दो लाख की सहायता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झांसी के मेडिकल काॅलेज में एक युवक के कटे पैर के प्रकरण पर संवेदनशीलता एवं दुःख व्यक्त करते हुए पीड़ित युवक को दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने की घोषणा की है।

सरकारी के प्रवक्ता ने बताया कि यह सहायता मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से दी जाएगी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने डाॅक्टरों एवं नर्साें की लापरवाही की इस घटना पर गम्भीर रुख अख्तियार करते हुए दोषियों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई किए जाने के निर्देश भी दिए हैं।