अहमदाबाद। दलित नेता और गुजरात में विधायक जिग्नेश मेवाणी और 100 अन्य लोगों को रविवार को पुलिस ने हिरासत में लिया। यह लोग दलित कार्यकर्ता भानुभाई वांकर की मौत के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। अहमदाबाद के उपगनरीय इलाके सरसपुर में पुलिस हिरासत में लिए जाने पर मेवाणी की पुलिस के साथ गरमागरमी भी हुई।
मेवाणी और 100 अन्य लोगों को हिरासत में लेने पर उन्होंने सिपाही से बहस की और उनसे उनके बकल का नंबर मांगा। उन्होंने कहा कि गुजरात तुम्हारे पिता का नहीं है। अपना बकल नंबर दो। मैं निर्वाचित विधायक हूं और तुम मेरा अपमान नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने उन्हें कार से बाहर निकालने के दौरान उनके साथ बदसलूकी की। एक निर्वाचित विधायक से इस तरह का बर्ताव नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनकी कार पर धावा बोल दिया, चाभी खींच ली और उन्हें तोड़ दिया।
हालांकि पुलिस ने उनके आरोपों से इनकार किया है। अपराध शाखा के संयुक्त पुलिस आयुक्त जेके भट ने पत्रकारों को बताया कि यह कहना गलत है कि पुलिस ने सम्मानित विधायक से बदसलूकी की। घटना को लेकर हम अपनी रिपोर्ट प्रदेश विधानसभा को सौंपेंगे। हो सकता है कि उन्होंने (मेवाणी ने) बदसलूकी की हो लेकिन हमने नहीं की। यह सामान्य बात है कि जब किसी को पुलिस हिरासत में लेती है तो कुछ बहस होती है।
60 वर्षीय वांकर ने गुरुवार को पाटन के जिला समाहरणालय में खुद को आग के हवाले कर दिया था। वह दलित परिवार को आवंटित जमीन का कब्जा दिलाने की मांग कर रहे थे। वह बुरी तरह झुलस गए थे और नाजुक अवस्था में उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। शुक्रवार की रात अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
इस घटना के बाद शुक्रवार की रात और शनिवार को उत्तर गुजरात में गांधीनगर, ऊंझा, चानस्मा, पाटन और सौराष्ट्र में मोरबी समेत प्रदेश के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन हुआ।
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने पत्रकारों से कहा कि हमने उनकी सभी बड़ी मांगें मान ली है। हम भानुभाई वांकर के परिवार के नाम कानूनी रूप से जमीन का हस्तांतरण करेंगे और वांकर के परिवार को आठ लाख रुपये का मुआवजा देंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन करेगी या विशेष जांच दल से मामले की जांच करवाएगी जिस पर वांकर के परिवार की सहमति है।