जींद। हरियाणा की जींद विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में 75.77 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने कई दिग्ग्जों समेत 21 उम्मीदवारों की राजनीतिक किस्मत सोमवार को इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में लॉक कर दी। मतगणना 31 जनवरी को होगी और उसी दिन यह तय हो जाएगा कि जींद से विधानसभा में नेतृत्व कौन करेगा।
चुनाव के जुड़े अधिकारियों के अनुसार मतदान सुबह सात बजे शुरू हुआ था तथा इसका समय सांय पांच बजे समाप्त हो गया। लेकिन पांच बजे के बाद भी कई मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लम्बी कतारें लगी हुई थीं जो देर शाम तक निपट गईं।
चुनाव नियंत्रण कक्ष से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार लगभग 75.77 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है। इससे पहले वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में जींद में 75.91 प्रतिशत मतदान हुआ था। सुबह के समय कड़ाके की ठंड और धुंध के कारण मतदान धीमा रहा लेकिन दिन चढ़ने और मौसम खुलने के साथ इसमें तेजी आई शाम तीन बजे तक यह लगभग 60 प्रतिशत तक पहुंच गया था। मतदाताओं विशेषकर युवाओं और महिलाओं में मतदान के प्रति काफी उत्साह देखा गया।
हालांकि यह केवल एक विधानसभा सीट का उपचुनाव था लेकिन निकट भविष्य में लोकसभा चुनावों और इस वर्ष के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत इसे राज्य में भावी राजनीतिक की दिशा और दशा तय होने के रूप में भी देखा जा रहा है। इसी के चलते यह चुनाव भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों तथा इंडियन नेशनल लोकदल और इससे टूट कर अस्तित्व में आई जननायक जनता पार्टी के अलावा भाजपा सांसद राजकुमार सैनी की नवगठित लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है और इन्होंने येन केन प्राकेण इसे जीतने के लिए जी तोड़ मेहनत की है।
यइ सीट इनेलो विधायक डॉ हरिचंद मिढ्ढा के गत वर्ष 26 अगस्त को निधन से रिक्त हुई थी। भाजपा ने उनके बेटे कृष्ण मिढडा को चुनाव में उतार कर सहानुभूति वोटों के सहारे इस सीट को अपनी झोली में डालने की जुगत लगाई। वैसे इस जाट बहुल हलके में यह पार्टी कभी भी खाता नहीं खोल पाई है लेकिन राज्य में अपनी सरकार के गत चार वर्षों के दौरान किए गए काम के आधार पर वह इस सीट को जीतने के दावे कर रही है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के लिए यह चुनाव किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। उधर, कांग्रेस ने कैथल से विधायक और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला को चुनाव में उतार कर न केवल इस मुकाबले को रोचक बना दिया बल्कि यह भी जताने का प्रयास किया कि यह सीट जीतना उसके लिए कितना महत्वपूर्ण है। भाजपा और कांग्रेस के लिए यह चुनाव में ‘करो या मरो‘ की स्थिति जैसा था।
इनेलो ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन में स्थानीय प्रत्याशी उमेद सिंह रेढू पर अपना दांव खेला है। रेढू ने पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में इस सीट से अपना नामांकन दाखिल किया था लेकिन बाद उन्हें इस गठबंधन अपना कर अपना अधिकृत उम्मीदवार बना लिया। इनेलो के लिए यह चुनाव बहुत अहम है क्योंकि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद उसी के पास है।
लेकिन डॉ मिढडा और हाल ही में पेहवा से एक अन्य विधायक जसविंदर सिंह संधू के निधन के बाद सदन में इनेलो के सदस्यों की संख्या 17 रह गई है जो कांग्रेस के बराबर है। ऐसे में इनेलो पर उससे विपक्ष के नेता का पद छिनने का भी संकट है तथा जींद उपचुनाव में जीत ही उसे इस संकट से निकाल सकती है।
जजपा ने अपने युवा नेता दिग्विजय चौटाला को मैदान में उतारा है और आम आदमी पार्टी ने भी उसे समर्थन का ऐलान कर इस चुनावी मुकाबले को चतुष्कोणीय बना दिया था। जजपा के लिये यह सीट जीतना उसे राज्य की राजनीति में स्वयं को स्थापित करने की परीक्षा जैसा है।
मिढडा ने अपनी मां के साथ यहां बूथ संख्या 69 में मतदान किया। मतदान के बाद उन्होंने कहा कि जींद की जनता का आशीर्वाद उन्हें ही मिलेगा और वह यह चुनाव जीतेंगे। रेड़ू ने अपने लोचब गांव के बूथ में मतदान किया। सुरजेवाला और दिग्विजय का वोट इस हलके में नहीं था। दोनों नेताओं ने सुबह मंदिर में जाकर माथा टेका और जीत के लिए प्रार्थना की।
मतदान के लिए जींद हलके में कुल 174 मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे। इनमें से 103 शहरी और 71 ग्रामीण क्षेत्र में थे। मतदान स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी ढंग से सम्पन्न कराने के लिये सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गये थे। उप चुनाव के मद्देनजर जींद विधानसभा क्षेत्र को 24 सेक्टरों में बांटा गया था तथा प्रत्येक सेक्टर में एक-एक डयूटी मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई थी।
इनके अलावा लगभग तीन हजार पुलिसकर्मी और पांच सौ होमगार्ड के जवानों के अलावा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और आरएएफ की दो कम्पनियां भी जींद में तैनात की गई थीं। मतदान केंद्रों के 200 मीटर के दायरे में किसी भी निजी वाहन के प्रवेश पर पूर्णतया प्रतिबंध था।