नयी दिल्ली । देश के पहले मानव-अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के चयन का काम इस साल के अंत तक पूरा हो जायेगा।
अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को यहाँ संवाददाता सम्मेलन में कहा, “इसरो ने वर्ष 2022 में देश की आजादी की 75 वर्षगाँठ से पहले अंतरिक्ष में पहला मानव मिशन भेजने का फैसला किया है। यह पूरी तरह से भारतीय मिशन होगा। इसके लिए अंतरिक्ष यात्रियों के चयन की प्रक्रिया जारी है। मिशन की तैयारी की निगरानी के लिए गगनयान राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् का गठन किया गया है तथा छह महीने में चयन पूरी कर ली जायेगी।”
इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. शिवन ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों के चयन के लिए वायुसेना के साथ समझौता किया गया है। चुने गये अंतरिक्ष यात्रियों को आरंभिक प्रशिक्षण देश में ही दिया जायेगा। मॉड्यलों का विशिष्ट प्रशिक्षण भी भारत में ही दिया जायेगा। अंतरिक्ष यात्रियों को बाद के चरण के प्रशिक्षण के लिए दूसरे देशों में भी भेजा जा सकता है क्योंकि अभी देश के पास अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण का अनुभव नहीं है।
उन्होंने बताया कि गगनयान मिशन के लिए देश की सभी प्रमुख प्रयोगशालाएँ मिलकर काम कर रही हैं। इसरो की प्रयोगशालाओं के साथ ही रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की प्रयोगशालायें तथा कई निजी प्रयोगशालायें भी इस मिशन में भागीदार होंगी। अंतरिक्ष यात्रियों के चयन के लिए बनाये गये परिषद् में इसरो के पूर्व प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन, सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजयराघवन, डॉ. शिवन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी भी शामिल हैं।
डॉ. शिवन ने बताया कि दिसंबर 2021 में गगनयान के प्रक्षेपण की योजना है। तीन अंतरिक्ष यात्री तीन से सात दिन तक अंतरिक्ष में रहेंगे। इस दौरान कुछ प्रयोगों को भी अंजाम दिया जायेगा। उससे पहले प्रयोग के तौर पर दो मानवरहित मिशन भी भेजे जायेंगे। पहला मानवरहित मिशन दिसंबर 2020 में और दूसरा उसके छह महीने बाद भेजा जायेगा।