हिसार/चंडीगढ़। केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह सत्ता की खुमारी में ऐसे डूबे हैं कि उन्हें जनता की मूलभूत समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है, उन्हें तो केवल सत्ता सुख भोगने की आदत है। उनकी नजर में सत्ता सुख के आगे जन समस्याएं बौनी है।
केंद्रीय मंत्री की ओर से जनता चाहे प्यासी रहे या बीमार, उन्हें नहीं है कोई सरोकार। जो लोग केंद्र में मंत्री रहते हुए जनता की समस्याएं सुनने को तैयार नहीं है वह भला बाद में जनता का कितना भला कर देंगे, इसका अंदाजा स्वयं लगा लो। यह बात जेजेपी-आप प्रत्याशी दुष्यंत चौटाला ने कही। वे हिसार में विभिन्न नुक्कड़ सभाओं को संबोधित कर रहे थे।
दुष्यंत चौटाला ने भाजपा प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह के पिता केंद्रीय इस्पात मंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि बीरेंद्र सिंह के परिवार के अंहकारी रवैये का ही परिणाम है कि 40 वर्ष बाद भी उनके पैतृक गांव डूमरखा में लोगों के लिए पीने का पानी तक नसीब नहीं हो पाया। बीरेंद्र सिंह कैबिनेट मंत्री का पद पाकर अपने आप को इतना ऊंचा बैठा महसूस करते हैं, कि उन्हें जनसमस्याएं तुच्छ दिखाई देती हैं।
दुष्यंत चौटाला ने बरवाला हलके की लाडवा में कल रात की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि अपने सुपुत्र भाजपा प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह के लिए वोट मांगने पहुंचे केंद्रीय इस्पात मंत्री बिरेंद्र सिंह को जब गांव लाडवा में पेजजल और अस्पताल में दवाईयों और डाक्टरों की कमी बारे अवगत करवाया, तो वे एक शब्द भी गवारा नहीं हुआ और उनका पारा बढ़ गया।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह केंद्रीय इस्पात मंत्री है और ऐसी छोटी-मोटी समस्याओं से उनका कोई वास्ता नहीं है। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि बिरेंद्र सिंह का समस्याओं सुनने के प्रति अपनाया गया यह रवैया उनके अंहकारी प्रवृत्ति का जीता-जागता प्रमाण है।
जेजेपी प्रत्याशी ने कहा कि जो नेता जनता की समस्याएं सुनना भी पंसद न करे, ऐसे में जनता उनके हिसार लोकसभा क्षेत्र की सेवा और विकास करने के दावों पर तनिक भी यकीन करने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि जो नेता चुनावों के समय जनता के बीच लोगों की समस्याएं सुनने को तैयार नहीं क्या वह वोट का हकदार है।
सांसद दुष्यंत ने हिसार लोकसभा की जनता से आह्वान किया है कि ऐसे घमंडी एवं अहंकारी लोगों से सजग एवं सावधान रहने की जरूरत है। जो अब मंत्री होते हुए आपकी बिजली, पानी एवं स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान तो दूर सुनना पंसद नहीं करता उनकी चंडीगढ़ और दिल्ली स्थित कोठियों में अपनी समस्याएं बताने के लिए जाने से पहले ही कई बार जनता को सोचना पड़ेगा।