कोच्चि। केरल उच्च न्यायालय ने वर्ष 2006 के जम्मू-कश्मीर आतंकवादी भर्ती मामले में मुख्य आरोपी और लश्कर-ए-तैयबा के पूर्व स्वयंभू दक्षिण भारतीय कमांडर थदियांतविदा नज़ीर सहित नौ लोगों की दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा है।
न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति सी जयचंद्रन की खंडपीठ ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए मामले के तीन आरोपियों को बरी कर दिया, जिनमें एमएच फैसल, मोहम्मद नवास और उमर फारूक शामिल हैं।
इन आरोपियों के द्वारा जम्मू-कश्मीर के आतंकी शिविरों में केरल से युवाओं को भर्ती किया जाता था और उन्हें देश के खिलाफ साजिश रचने के लिए हथियारों का प्रशिक्षण दिया जाता था। यह मामला तब सामने आया जब सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में इनमें से चार की मौत हो गई थी।
डिवीजन बेंच ने अक्टूबर, 2013 एर्नाकुलम एनआईए स्पेशल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा जिसमें 13 लोगों को दोषी ठहराया गया और मामले में पांच को बरी कर दिया गया।
एक तरफ जहां आरोपी ने फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, वहीं, एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने भी पांच लोगों को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की। कोर्ट ने बीएसएनएल द्वारा जारी कॉल रिकॉर्ड स्टेटमेंट को भी मामले के संदर्भ में एक अहम सबूत माना।