तिरुवनंतपुरम। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता एवं प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे नंद कुमार ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय को लेकर जारी विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सोमवार को कहा कि जेएनयू पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके करीबी शिक्षा मंत्री नुरुल हसन के दिमाग की उपज था।
कुमार ने ट्वीट कर कहा कि जेएनयू, इंदिरा गांधी और उनके करीबी शिक्षा मंत्री नुरुल हसन के दिमाग की उपज था जिसे ब्रिटेन के हैलेस्बरी कॉलेज की तर्ज पर उत्पादन और प्रशिक्षण के लिए स्थापित किया गया था। इस विश्वविद्यालय की स्थापना श्रीमती गांधी के व्यक्तित्व और आदर्शवाद के अनुरूप प्रतिबद्ध नौकरशाही के निर्माण के मकसद से की गई थी।
आरएसएस विचारक ने बताया कि लोकसभा में इंदिरा गांधी को समर्थन देने के लिए उनके और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के बीच एक समझौते के तहत हसन को इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री बनाया गया था।
उन्होंने कहा कि 1966 में पारित किया गया जेएनयू विधेयक नेहरू मंत्रिमंडल में पूर्व शिक्षा मंत्री एमसी छागला ने प्रस्तुत पेश किया था, जिन्हें एक राष्ट्रवादी मुस्लिम के रूप में जाना जाता था। उन्होंने कहा कि जेएनयू अधिनियम 1969 में अस्तित्व में आया था।
हसन को हार्ड-कोर वामपंथी करार देते हुए उन्होंने कहा कि उनकी नीतियों के कारण जेएनयू संकाय पर वामपंथ की दमघोंटू पकड़ है। जेएनयू को इससे उबरना होगा।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने बुनियादी मूल्यों को कम कर दिया है। इसने पार्टी और सरकार दोनों में राष्ट्रवादी मुसलमानों की बजाय वामपंथी मुस्लिमों के साथ काम करना शुरू कर दिया है।
कुमार ने जेएनयू के 113 शिक्षकों के विश्वविद्यालय शिक्षक संघ से खुद को अलग करने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि इस वर्ग को बढ़ने दें और ज्ञान के मंदिर से सभी अवांछनीय तत्वों को उखाड़ फेंके।