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मुख्यमंत्री गहलोत ने पुत्र की हार का बदला जोधपुर से लिया : गजेन्द्र सिंह शेखावत - Sabguru News
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मुख्यमंत्री गहलोत ने पुत्र की हार का बदला जोधपुर से लिया : गजेन्द्र सिंह शेखावत

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मुख्यमंत्री गहलोत ने पुत्र की हार का बदला जोधपुर से लिया : गजेन्द्र सिंह शेखावत
बीजेपी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करते जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत
बीजेपी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करते जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत

जोधपुर। स्थानीय सांसद और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सीधा हमला बोला है। शेखावत ने कहा कि अपने पुत्र की हार और अपने वार्ड में हार के बाद जोधपुर की जनता से बदला लिया गया। आज लोग सरदारपुरा से विधायक अशोक गहलोत से प्रश्न पूछते हुए दिखाई देते हैं।

केंद्रीय मंत्री ने पूरे विश्वास के साथ कहा कि जोधपुर के दोनों नगर निगमों में भाजपा का बोर्ड बनेगा। शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में शेखावत ने कहा कि नगर निगम चुनाव में कांग्रेस धड़ों में बंटी हुई है। मैं पिछले तीन-चार दिन से बिल्कुल धरातल पर जाकर लोगों से बातचीत कर रहा हूं। सभी इस बात की तारीफ कर रहे हैं कि धनश्याम ओझा जी के नेतृत्व में भाजपा के बोर्ड ने ईमानदारी से काम किया है, लेकिन पिछले दो साल में, विशेष रूप से एक साल में, जिस तरह विकास के काम में रोड़े अटकाए गए। सड़कों के जो हालात हुए। शहर में जिस तरह की दुरव्यवस्था हुई। जनता सवाल पूछ रही है।

सरकार पर पुलिस-प्रशासन के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि एक गली में खुले हुए दो कार्यालयों से पुलिस-प्रशासन को सिर्फ भाजपा का कार्यालय दिखे और कांग्रेस के कार्यालयों को खुलने की छूट दी जाए। सरदारपुरा, प्रताप नगर, मसुरिया में एक बार जाकर पूछिएगा कि लोगों को कितना कष्ट हुआ है। भाजपा कार्यकर्ताओं को कार्यालय बंद करने की धमकियां दी जाएं। हम धमकियों का सामना करेंगे।

शेखावत ने कहा कि राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद लोकसभा और स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी को मुंह की खानी पड़ी। हार के भय से जोधपुर से लेकर अन्य सारे स्थानीय निकायों में कांग्रेस ने वार्डों का पुनर्गठन किया।

65 से 100 वार्ड करने के बाद भी बीकानेर, उदयपुर आदि में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। उसका परिणाम था कि जोधपुर, जयपुर और कोटा को दो हिस्सों में बांटने का काम केवल राजनीतिक महत्वाकांक्षा और अपनी इज्जत बचाने के लिए किया गया। फिर भी न मतदाता के मन, न उसकी मानसिकता, न उसके विचार, न उसके संकल्प और न उसके प्रण को बदला जा सकता है। मतदाता ने विचार, संकल्प और प्रण कर लिया है। उसने पिछले दो साल में जो भुगता है, उसका बदला लेकर रहेगा।

उन्होंने कहा कि एक उच्च षड्यंत्र और किया गया था कि जनता चाहे जिसे भी चुने, सरकार जिसे चाहे, उसको हाईब्रिड फॉर्मूला के तहत स्थापित कर सकती है। मैंने ऐसा सुना, हार के भय में सरकार इस तरह की मानसिकता को और पद्धति को टटोलने का प्रयास कर रही है। मैं खुले मंच से चेतावनी देना चाहता हूं कि जनता की आवाज को इस तरह किसी कानून के माध्यम से अगर दबाने के प्रयास किया तो उसके बहुत बुरे परिणाम कांग्रेस और उसकी सरकार को भुगतने होंगे।

राजस्व ग्राम पंचायत में 40 किमी की दूरी

शेखावत ने कहा कि पंचायतों को मनमर्जी से तोड़ा गया। कायदे कानून को धता बताते हुए 700 वोट में पंचायत बना ली गई। 7000 वोट की पंचायत को एज इट इज छोड़ दिया गया। पंचायत के दो राजस्व ग्रामों की सीमा मिली होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने संज्ञान में ले करके रोका कि एक राजस्व ग्राम और दूसरे राजस्व ग्राम की पंचायत के बीच में 40 किलोमीटर की दूरी है। बीच में दो अलग-अलग पंचायत आती हैं। कौन सा नियम, कौन सा कायदा और कौन सा कानून, जो जनता के साथ किए हुए वादे ही याद नहीं रखते। वो नियम कायदे कब याद रखेंगे। उससे अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए।

एक भी वादे पर खरी नहीं उतरी सरकार

शेखावत ने कहा कि शायद ही कोई एक वादा होगा, जिस पर कांग्रेस सरकार खरी उतरी या कायम रही होगी। चुनाव परिणाम के साथ जिस तरह का विग्रह, विभाजन और ऊपर से नीचे तक बंटवारा सरकार में दिखाई दे रहा था, उससे जूझती सरकार अपने सारे वादे भूल चुकी है। राजस्थान केवल अपराधों की राजधानी बनकर उभरा है। भाजपा नीत सरकार के समय में राजस्थान जिस तरह से देश के सर्वश्रेष्ठ और सर्वाधिक प्रगतिशील राज्यों की कड़ी में आकर खड़ा हुआ था, वो आज हरेक पैरामीटर पर पिछड़ता जा रहा है। बस भ्रष्टाचार और अपराध के आंकड़ों में राजस्थान अव्वल आ रहा है। जनता कष्ट में है और परेशान है।

भाजपा अनुशासन वाली पार्टी

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा व्यवस्था के साथ काम करने वाली पार्टी है। वो परिवार की पार्टी नहीं है। ऐसे सारे लोग जो अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, हम उनके नामों को सूचीबद्ध करके पार्टी को भेजेंगे। पार्टी की अनुशासन समिति निश्चित ही कठोर फैसला लेगी। परिवार के सवाल पर उन्होंने कहा, भाजपा अगर किसी कार्यकर्ता के बेटे, जो खुद भी कार्यकर्ता हो, को टिकट दें तो आप कहेंगे कि आप भी परिवारवादी पार्टी हो गए हैं। अगर नहीं दें तो आप कहेंगे कि परिवार के लोगों को आपने टिकट नहीं दिया।