न्यू जर्सी। हेल्थकेयर क्षेत्र की अमरीका की जानी मानी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने भारत में अपने खराबी वाले हिप इम्प्लांट से प्रभावित मरीजों को मुआवजा देने पर सहमति जताते हुए कहा है कि वह इसके लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करेगी।
कंपनी ने कहा कि वह भारत सरकार के साथ मिलकर मरीजों को मुआवजा देने की दिशा में काम करेगी। कंपनी यह मुआवजा आठ साल पहले वर्ष 2010 में बाजार से वापस लिए गए अपने खराब हिप इम्प्लांट की एवज में देगी। गत माह भारत सरकार द्वारा गठित एक पैनल ने जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा एएसआर हिप इम्प्लांट से प्रभावित प्रत्येक मरीजों को कम से कम 20 लाख रुपए का मुआवजा देने की सिफारिश की थी।
कंपनी की प्रवक्ता ने ईमेल में कहा है कि हम हमेशा से भारत और दुनिया भर में सभी एएसआर मरीजों को मदद देने के प्रति पूर्ण प्रतिबद्ध रहे हैं। हाल की रिपोर्ट के प्रकाश में हम भारत सरकार के साथ मिलकर प्रभावित मरीजों कोमुआवजा और मदद देने के लिए एक समुचित प्रक्रिया विकसित करना चाहते हैं।
वर्ष 2013 में कंपनी अपने खराबी वाले हिप इम्प्लांट से प्रभावित अमरीका केे हजारों मरीजों को करीब ढाई अरब डॉलर का मुआवजा देने पर पर राजी हुई थी। भारत में कंपनी ने हिप इम्प्लांट के बाद दोबारा सर्जरी कराने वाले मरीजों को महज 20 लाख डॉलर का भुगतान किया और एएसआर रिइम्बर्समेंट प्रोग्राम के तहत ढाई लाख डॉलर डायग्नॉस्टिक लागत के रूप में दिए।
भारत सरकार द्वारा गठित पैनल ने प्रभावित मरीजों को कोई मुआवजा न देने को लेकर कंपनी की आलोचना की। पैनल के मुताबिक दुनियाभर में लगभग 93,000 मरीजों ने एएसआर हिप इम्प्लांट कराया जिनमें से करीब 4,700 इम्प्लांट भारत में किए गए।