अजमेर। जयपुर के पत्रकार अभिषेक सोनी की हत्या और वरिष्ठ फोटोजर्नलिस्ट्स गिरधारी पालीवाल पर जानलेवा हमले के बाद प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग जार ने पुरजोर तरीके से उठाई है।
जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के प्रदेश व्यापी अभियान के तहत शुक्रवार को अजमेर ईकाई की ओर से कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित को मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में पत्रकारों पर लगातार हो रहे जानलेवा हमले, हत्या और जान से मारने की धमकियों की घटनाओं को देखते हुए महाराष्ट्र व उत्तरप्रदेश की तर्ज पर प्रदेश में भी पत्रकार सुरक्षा कानून शीघ्र लागू किए जाने की मांग की गई है।
ज्ञापन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ध्यान प्रदेश में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ और इस स्तम्भ से जुड़े कलम के सिपाहियों पर हो रहे जानलेवा हमलों और हत्याओं की तरफ दिलाया गया हैं। जयपुर के युवा पत्रकार अभिषेक सोनी की हाल ही एक जानलेवा हमले में मौत हो गई। उसका कसूर इतना था कि एक युवती को बदमाशों से बचाने की कोशिश की तो उस पर बदमाशों ने जानलेवा हमला करके लहुलूहान कर दिया। कई दिनों तक संघर्ष के बाद उसकी मौत हो गई।
राजस्थान पत्रिका के वरिष्ठ फोटोजर्नलिस्ट्स गिरधारी पालीवाल पर मानसरोवर के नाहटा पेट्रोल पम्प पर जानलेवा हमला किया। इससे पहले भी जयपुर से नजदीक फागी के दैनिक भास्कर के संवाददाता दिलीप चौधरी को बजरी माफिया से पुलिस सांठगांठ को उजागर किया तो पुलिस ने ही दिलीप चौधरी को बंधक बनाकर मारपीट की।
अजमेर में बीते माह एक समाचार चैनल के प्रतिनिधि के साथ आरएसी के जवान ने वर्दी का रूआब दिखाते हुए मारपीट की तथा सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। इस बारे में जार ने मामला उठाया तब कहीं जाकर पुलिस सक्रिय हुई तथा कार्रवाई की।
बांसवाडा में मंत्री पुत्र के खिलाफ खबर प्रसारित करने पर सहारा चैनल के संवाददाता सुरेन्द्र सोनी पर झूठा मुकदमा दर्ज करके गिरफ्तार कर लिया और पुलिस ने सोनी को जान से मारने की धमकियां दी। झालावाड की महिला पत्रकार गीता मीना पर शराब माफिया ने घर में घुसकर उसके व पति पर जानलेवा हमला किया और चौपहिया वाहन को आग लगा दी। शिकायत के बाद भी पुलिस ने कार्यवाही नहीं की।
टोंक में नगर परिषद की सीईओ ने भ्रष्टाचार की खबरें प्रसारित करने पर जी-राजस्थान के ब्यूरो चीफ पुरुषोत्तम जोशी के खिलाफ एसटी-एससी का झूठा मुकदमा दर्ज करवाकर प्रताडि़त करने का प्रयास किया। आज तक राजस्थान हैड शरद कुमार के खिलाफ जयपुर के विधायकपुरी थाना में बिना साक्ष्य के ही झूठा मुकदमा दर्ज करके प्रताडित किया गया।
जैसलमेर में भौम सिंह राजपुरोहित, जयपुर के पत्रकार सन्नी आत्रेय समेत राज्य के कई पत्रकारों को जान से मारने की धमकियां दी और हमले किए गए। ये सभी घटनाएं एक साल के भीतर घटी है। पूर्व में भी ऐसी बहुत सी घटनाएं हो चुकी है।
माननीय, इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ रही है, जिससे पत्रकारों व दूसरे मीडियाकर्मियों में भय व खौफ है। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को भयमुक्त करने के लिए राजस्थान में पत्रकारों की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है, जिसके लिए राजस्थान में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाना बहुत जरुरी हो गया है। महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू हो चुका है। राज्य में पत्रकारों व मीडियाकर्मियों पर बढ़ते हमले को देखते हुए यहां भी शीघ्रताशीघ्र पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाना चाहिए।
जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) के मांग पत्र पर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस घोषणा पत्र कमेटी के चेयरमैन श्री हरीश चौधरी व सदस्य एडवोकेट श्री विभूति भूषण शर्मा ने पत्रकार सुरक्षा कानून समेत पत्रकार हितों से जुड़ी पत्रकार आवास योजना, वरिष्ठ पत्रकार पेंशन योजना फिर से लागू करने, डिजिटल मीडिया को मान्यता प्रदान करने समेत अन्य मांगों को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था।
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रथम केबिनेट मीटिंग में पत्रकार सुरक्षा कानून समेत अन्य मांगों को मंजूरी देते हुए शीघ्र लागू करने का वादा किया था। 17 दिसम्बर, 2020 को आपकी सरकार ने दो साल का कार्यकाल पूरा किया है। इस दो साल के कार्यकाल में आपने पत्रकार हितों के लिए महत्वपूर्ण फैसले किए हैं, जिसमें वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मान राशि फिर से शुरु की और सम्मान राशि को बढ़ाकर दस हजार रुपए किए हैं।
गैर अधिस्वीकृत पत्रकारों को मेडिकल सुविधा प्रदान की, साथ ही पत्रकार आवास योजना को मूर्तरुप देने के दिशा-निर्देश दिए हैं। डिजिटल मीडिया को मान्यता देने के लिए नियम बनाए जा रहे हैं। उम्मीद है कि पत्रकार सुरक्षा कानून भी जल्द ही बनाया जाएगा।
अहम बात यह है कि देश और दुनिया में मीडिया कवरेज करने वाले पत्रकारों पर जानलेवा हमले और हत्याओं को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ भी चिंता जाहिर कर चुका है। संयुक्त राष्ट्र संघ की महासचिव बान की मून ने 10 मार्च, 2016 को संयुक्त राष्ट्र संघ में पत्रकारों की सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए सभी देशों की सरकारों को जर्नलिस्ट्स प्रोटेक्शन एक्ट बनाने की बात कही थी ताकि दुनिया में मीडिया की आजादी बरकरार रह सके। जिस तरह की चिन्ता बान की मून जताती रही है, वैसी ही चिन्ता मुख्यमंत्री खुद भी जताते रहे हैं।
पत्रकारों व मीडियाकर्मियों की सुरक्षा के लिए राज्य की सर्वोच्च संस्था राजस्थान विधानसभा में भी पत्रकार सुरक्षा कानून को पारित करवाया जाए। उक्त कानून में हमलावर संगठित माफिया, बदमाशों व लोगों के खिलाफ कठोर कानूनी प्रावधान लागू किये जाए ताकि पत्रकारों पर हमलों, जान से मारने की धमकियां देने से पहले संगठित माफिया और बदमाश दस बार सोचें। पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए कठोर कानूनी प्रावधानों के लिए हमारी यूनियन की तरफ से कुछ सुझाव है, जिन्हें इस एक्ट में लागू करवाया जाए।
– हमारी यूनियन निम्न सुझाव है
– पत्रकारों व मीडियाकर्मियों पर जानलेवा हमले, जान से मारने की धमकियों को गैर जमानती अपराध बनाया जाए और उक्त अपराधों में सात साल से आजीवन कारावास तक के कठोर कारावास से दंडित करने और दो लाख से पांच लाख रुपये के जुर्माने के प्रावधान रखे जाए।
-जानलेवा हमले में पत्रकार की मृत्यु होने पर दोषियों पर मृत्युदंड की सजा और दस लाख रुपये के जुर्माने तक के प्रावधान रखे जाए। उक्त जुर्माना दोषियों से वसूलकर मृत पत्रकार के आश्रित परिजनों को दिलवाया जाए। साथ ही आश्रित पत्नी, बेटे-बेटी को सरकारी नौकरी दिए जाने के प्रावधान रखे जाए।
– पत्रकार या मीडियाकर्मी की हत्या के मामले को रेयरेस्ट क्राइम मानते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से मामले की जांच करवाई जाए। इस तरह के केस को केस ऑफिसर स्कीम में रखकर दोषियों को जल्द सजा दिलवाई जाए। साथ ही मृतक पत्रकार के आश्रित परिजनों को राज्य सरकार द्वारा दस लाख रुपये की आर्थिक सहायता, बच्चों को सरकारी या निजी शिक्षण केन्द्र में नि:शुल्क दिलवाने समेत अन्य विशेष पैकेज दिलवाया जाए।
– मीडिया कवरेज के दौरान कवरेज से रोकने, अपशब्द कहने, जान से मारने की धमकी देने, हमले करने के कृत्य को राजकार्य में बाधा डालने जैसे गैर जमानती प्रावधान रखे जाए।
–हमले में किसी पत्रकार, फोटोजर्नलिस्ट्स, कैमरामैन व अन्य मीडियाकर्मी पर चोट पहुंचने पर ईलाज की समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार वहन करे और उक्त खर्चे की वसूली दोषियों से की जाए।
– पत्रकारों व मीडियाकर्मियों पर हमले या उन पर दर्ज मामलों का अनुसंधान आरपीएस या आईपीएस के निर्देशन में हो।
– पत्रकारों व मीडियाकर्मियों की ओर से दर्ज मामलों पर त्वरित कार्यवाही हो और जान से मारने की धमकी देने या हमले की सूचना पर संबंधित मीडियाकर्मियों को सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाए।
- कवरेज से रोकने के लिए संगठित माफिया या बदमाश पत्रकार या मीडियाकर्मी को फंसाने, डराने के लिए पुलिस को झूठी शिकायत देते हैं तो पहले उस शिकायत की जांच की जाए और जांच में सही पाए जाने पर ही मुकदमा दर्ज किया जाए। शिकायत झूठी पाई जाती है तो शिकायतकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। झूठी शिकायतकर्ता के अपराध को गैर जमानती रखा जाए। सजा व जुर्माने के प्रावधान कठोर रखे जाए।
– कवरेज के दौरान पत्रकारों व मीडियाकर्मियों के दुर्घटनाग्रस्त होने, घायल होने पर सरकारी व निजी चिकित्सालय में सरकारी स्तर पर ईलाज करवाया जाए। साथ ही ईलाज के दौरान वेतन-भत्ते नियमित मिलते रहे, इसके प्रावधान किए जाए।
– पत्रकारों की शिकायतों पर राज्य के सभी पुलिस थानों में शीघ्र कार्यवाही अमल में लाई जाए। लापरवाही बरतने वाले अधिकारी व कर्मियों पर त्वरित कार्यवाही के प्रावधान रखे जाए।
– पत्रकारों की सुरक्षा के लिए उन्हें हथियार लाइसेंस उपलब्ध करवाए जाए।
राज्य के पत्रकारों को पूर्ण आशा है कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए महाराष्ट्र व उत्तरप्रदेश की तरह आप भी राजस्थान में जर्नलिस्ट्स प्रोटेक्शन एक्ट लागू करेंगे। हमारे उक्त सुझावों को भी कानून के दायरे में लेते हुए पत्रकार सुरक्षा कानून को आगामी विधानसभा सत्र में लागू करेंगे। यह कानून लागू होने के बाद राजस्थान में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी, जिसके लिए राजस्थान के समस्त पत्रकार और मीडियाकर्मी आपके आभारी रहेंगे।
जानलेवा हमले में अपनी जिन्दगी गंवाने वाले युवा पत्रकार अभिषेक सोनी के आश्रित परिजनों को दस लाख रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाए। साथ ही वरिष्ठ फोटोजर्नलिस्ट्स गिरधारी पालीवाल जी को ईलाज के लिए दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिलवाई जाए।
ज्ञापन सौपने वालों में जार की अजमेर ईकाई के अध्यक्ष अकलेश जैन, प्रदेश उपाध्यक्ष विजय मौर्य, प्रदेश सचिव संतोष कुमार, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य विनोद गौतम, अजमेर ईकाई के महासचिव विजय कुमार शर्मा, कोषाध्यक्ष विजय हंसराजानी, उपाध्यक्ष अरुण बाहेती समेत जार के कई सदस्य मौजूद रहे।