नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुप्रीमकोर्ट को बुधवार को अवगत कराया कि उसने आम्रपाली समूह के अधूरे प्रोजेक्ट मामले में कंपनी के वित्तीय सलाहकार जेपी मॉर्गन की सम्पत्ति कुर्क कर ली है।
जेपी मॉर्गन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष कहा कि उनकी मुवक्किल कंपनी की सम्पत्ति कुर्क किया जाना अवैध है, क्योंकि जेपी इंडिया का आम्रपाली से कोई लेना देना नहीं है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि हम जेपी मॉर्गन को लेकर चिंतित हैं, इसकी सारी दुनिया में शाखाएं हैं, और जब आपकी सारी दुनिया में शाखाएं हैं, तो हमें इसका ध्यान रखना होगा। इस पर रोहतगी ने कहा कि जेपी स्वतंत्र संगठन है और उसका आम्रपाली में कोई निवेश नहीं है।
इस बीच फ्लैट क्रेताओं के वकील एमएल लाहोदलटी ने एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि होमबॉयर्स को निर्माण के लिए इस समय अब और भुगतान नहीं करना चाहिए। लाहोटी ने कहा कि कोर्ट ने निर्माण कार्य समयबद्ध ढंग से करने को कहा था। इसलिए होम बायर्स मुआवजे के हकदार हैं।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि होम बायर्स को यह नहीं सोचना चाहिए कि भुगतान किए बिना उन्हें संपत्ति का लाभ मिलेगा। बायर्स के वकील ने कहा कि मैंने यह सुझाव नहीं दिया कि बायर्स बिना पैसा चुकाये ही संपत्ति का लाभ लें। मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी।
गौरतलब है कि सम्पत्ति कुर्क करने का खंडपीठ का आदेश उस वक्त आया जब उसे ईडी ने बताया कि जेपी मॉर्गन के खातों में 187 करोड़ रुपए मिले हैं, जो आम्रपाली में हुए गबन से जुड़े हैं। इसके बाद खंडपीठ ने प्रवर्तन निदेशालय को जेपी मॉर्गन की संपत्ति कुर्क करने जैसी कार्रवाई की अनुमति दे दी।
आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट को लेकर हुई पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने केंद्र सरकार से नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को 500 करोड़ रुपए का फंड देने और जीएसटी में 1000 करोड़ रुपए की रियायत पर विचार करने को कहा था।
गौरतलब है कि प्रोजेक्ट पूरे करने का ज़िम्मा एनबीसीसी को सौंपा गया है। मामले की सुनवाई के दौरान आम्रपाली की संपत्तियों की बिक्री से फंड जुटाने को लेकर भी चर्चा हुई थी।