भोपाल । जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) की हड़ताल आज मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा चिकित्सा महाविद्यालयों अौर इनसे संबंधित अस्पतालों में पांचवें दिन भी जारी है। इस बीच चिकित्सा महाविद्यालयों के अध्यापकों (डॉक्टर्स) ने भी जूडा की मांगों का समर्थन किया है।
जूडा के एक पदाधिकारी डॉक्टर कृपाशंकर तिवारी ने दूरभाष पर यूनीवार्ता को बताया कि मानदेय में वृद्धि, चिकित्सा महाविद्यालयों और अस्पतालों की ढांचागत सुविधाओं में सुधार और सेवा शर्तोँ संबंधी नियमों में संशोधन की मांग को लेकर पांचों शहरों के एक हजार से अधिक जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मांगों पर गौर करने की बजाए उनकी आवाज दबाने का प्रयास कर रही है। इसके लिए अनेक जूनियर डॉक्टर्स को बर्खास्त कर दिया है। छात्रावास खाली करा लिए गए हैं और दबाव डालने के लिए अन्य तरीके भी अपनाए जा रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में श्री तिवारी ने कहा कि हड़ताल अवैध घोषित करने संबंधी उच्च न्यायालय का आदेश उनके संगठन को मिलने पर अगला कदम तय किया जाएगा। फिलहाल उनके संगठन को उच्च न्यायालय की ओर से एक नोटिस मिला है, जिसका जवाब दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संगठन का प्रयास है कि मुख्यमंत्री, किसी जनप्रतिनिधि या अधिकारी से सकारात्मक बात हो, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली है। पैरामेडिकल स्टाफ के काम पर वापस लौटने संबंधी खबरों के बारे में उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं हैं।
तिवारी ने बताया कि पांचों शहरों में स्थित चिकित्सा महाविद्यालयों के अध्यापकों (डॉक्टर्स) ने जूडा की मांगों का समर्थन किया है। उनका दावा है कि आने वाले दिनों में अपना समर्थन देने के लिए ये अध्यापक ‘कलम बंद’ भी कर सकते हैं।
दरअसल चिकित्सा महाविद्यालयों से संबंधित अस्पतालों के संचालन में जूनियर डाॅक्टर्स (स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में अध्ययनरत चिकित्सक) की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इनकी हड़ताल की वजह से इन अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। हालाकि राज्य सरकार ने इन हालातों के मद्देनजर आपातकालीन उपाय किए हैं और अत्यावश्यक सेवाएं संधारण अधिनियम (एस्मा) लगा दिया है। एस्मा के तहत चिकित्सा महाविद्यालयों और उनसे संबंधित अस्पतालों में अधिकारी कर्मचारी आगामी तीन माह तक अवकाश नहीं ले सकेंगे।