अजमेर। अजमेर के विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में जुम्मे की नमाज का समय एक नवम्बर से बदला जा रहा है।
दरगाह के इतिहास में यह पहला मौका है कि जब जुम्मे की नमाज के परंपरागत समय को जायरीन की सुविधा के मद्देनजर बदला जा रहा है। दरगाह प्रबंधन समिति की ओर से समय बदले जाने बावत दरगाह क्षेत्र एवं दरगाह में इश्तिहार चस्पा भी किया गया है।
नाजिम दरगाह कमेटी की ओर से जारी इस पर्चे में वर्तमान समय एवं बदले समय का उल्लेख है। आम तौर पर 1:35 पर होने वाली नमाज अब करीब एक घंटा पहले अदा की जाएगी और यह व्यवस्था मूलरूप से दरगाह स्थित शाहजहांनी मस्जिद पर लागू होगी ताकि दरगाह आने वाले अकीदतमंदों को मजार शरीफ पहुंचने में दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
गौरतलब है कि जुम्मे के दिन (शुक्रवार) जायरीन एवं अकीदतमंद के अलावा स्थानीय मुस्लिम बिरादरी यहां तक की कई खादिम पहले से ही स्थान घेरते हुए सफे बनाकर बैठना शुरू हो जाते है। उनके बैठे जाने से आवाजाही के लिए रास्ता नहीं बचता और मजार शरीफ जाने वाले लोगों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
इस बात को देखते हुए दरगाह कमेटी, दोनों अंजुमनों के पदाधिकारियों की मौजूदगी में शहर काजी की रजामंदी से सामूहिक सहमति से समय बदलने का निर्णय करीब एक हफ्ते पहले ही लिया जा चुका था। इतना ही नहीं दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन की भी इसमें मौन सहमति है।
दरगाह दीवान और उनके पुत्र नसीरुद्दीन चिश्ती का कहना है कि यह निर्णय शहर काजी की मौजूदगी में आम सहमति से हुआ है, लिहाजा इस पर कोई ऐतराज जैसी बात नहीं है और उनकी रजामंदी है। उधर, दरगाह से जुड़े कुछ लोग समय परिवर्तन का विरोध भी कर चुके हैं।