नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष को शनिवार को देश के पहले लोकपाल के रूप मेें शपथ दिलाई गई।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने यहां राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में उन्हें लोकपाल पद की शपथ दिलाई। इस अवसर पर उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई मौजूद थे।
न्यायमूर्ति घोष को 19 मार्च को देश का पहला लोकपाल नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति घोष को देश का पहला लोकपाल नियुक्त किये जाने की अनुशंसा मोदी, नयायमूर्ति गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और प्रख्यात कानूनविद् मुकुल रोहतगी की सदस्यता वाली चयन समिति ने की थी। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को समिति में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था लेकिन वह बैठक में नहीं आए।
न्यायमूर्ति घोष की यह नियुक्ति उच्चतम न्यायालय की ओर से इसके लिए समय सीमा निर्धारित कर दिए जाने के बाद की गई। न्यायमूर्ति घोष ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की निकट सहयोगी शशिकला को भ्रष्टाचार के मामले में सजा सुनाई थी।
उन्होंने आठ मार्च 2013 को उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवाएं शुरू की थी और 27 मई 2017 को उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए थे। वह जून 2017 से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयाेग के सदस्य हैं। इससे पहले वह आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं। लोकपाल चयन के लिए समिति की ओर से सूचीबद्ध किए गए 10 नामों में न्यायमूर्ति घोष का नाम शामिल था।