नैनीताल। उत्तराखंड की व्यास घाटी से होकर गुजरने वाली ऐतिहासिक कैलाश मानसरोवर यात्रा 12 जून से शुरु हो रही है और इसके लिए प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है।
कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के यात्रा प्रबंधक जीएस मनराल ने बताया कि निगम की ओर से कैलाश यात्रा को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस बार की यात्रा में खास बात यह है कि पैदल यात्रा लगभग 18 किमी कम हो गई है। इसके साथ ही यात्रा हेलीकाप्टर के बजाय अपने परंपरागत रास्तों से पैदल होकर गुजरेगी।
उत्तराखंड में कैलाश यात्रा को लेकर काफी उत्साह है। खासकर पैदल यात्रा से व्यासघाटी के छोटे कारोबारी काफी आशान्वित हैं। जानकारों का मानना है कि इस बार पैदल यात्रा संचालित होने से व्यासघाटी की रौनक वापस लौट आई है।
कैलाश यात्रा की विधिवत शुरूआत 12 जून से शुरु होगी और इसी दिन पहला जत्था दिल्ली से देवभूमि उत्तराखंड पहुंचेगा। हल्द्वानी और अल्मोड़ा पहुंचने पर यात्रियों का भव्य स्वागत किया जाएगा। 12 जून से शुरू होने वाली यह यात्रा आठ सितम्बर तक चलेगी।
आठ सितंबर को अंतिम दल दिल्ली पहुंच जाएगा। इस वर्ष यात्रा में कुल 18 दल शामिल होंगे। एक दल में अधिकतम 60 श्रद्धालु होंगे। इस दल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय का एक लाइजनिंग अधिकारी करेगा।
निगम प्रबंधक मनराल ने बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में सड़क निर्माण होने के कारण कैलाश मानसरोवर पैदल यात्रा अपेक्षाकृत आसान होती जा रही है। पैदल यात्रा पड़ाव कम हुए हैं। यात्री धारचूला से नजंग तक 42 किमी सड़क मार्ग से यात्रा करेंगे। इससे सिर्खा-गाला के बीच की दूरी घटी है। यात्री सीधे पहले पड़ाव बूदी पहुंचेंगे। अगला पड़ाव गूंजी होगा।
उच्च हिमालयी क्षेत्र गूंजी में यात्री दो से तीन दिन रूकेंगे। यात्रियों को गूंजी से सटे नाभी में हो स्टे योजना का लाभ दिया जाएगा। इसके लिये नाभी गांव में होम स्टे योजना को लागू किया गया है। इस योजना के तहत यात्रियों को पहाड़ी और उत्तराखंडी व्यंजन परोसे जाएंगे।
यात्री यहां ठेठ उत्तरखंडी संस्कृति से रूबरू होंगे। यहां से यात्रियों को आगे की दुर्गम यात्रा के लिये तैयार किया जाता है। भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस की ओर से गूंजी में यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा।
मनरोल ने बताया कि गूंजी से अगले दिन यात्री अगले पड़ाव कालापानी की यात्रा पर निकलेंगे। यहां रात्रि विश्राम के साथ ही श्रद्धालु बर्फ से ढके अद्भुत ओमपर्वत के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि उसके अगले दिन नाबीढांग होते हुए यात्री लिपूपास से चीन अधिकृत तिब्बत में प्रवेश करेंगे। यहां यात्री लगभग आठ दिन की यात्रा कर वापस लौंटेंगे।