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Sirohi: Kalaka water has more alkaline and nitrated than permissable limit
होम Rajasthan Jodhpur कालका तालाब के पानी में था तय मात्र से ज्यादा क्षार और नाइट्रेट, rti में मिली रिपोर्ट

कालका तालाब के पानी में था तय मात्र से ज्यादा क्षार और नाइट्रेट, rti में मिली रिपोर्ट

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filters equiped to supply water of akhelao tank of kalka talab in sirohi city
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सबगुरु न्यूज, सिरोही। सिरोही में बारिश के बाद शहर के 10 वार्डों को पिलाये गए कालका तालाब के पानी में तय मात्रा से ज्यादा क्षार और नाइट्रेट थी।

सूचना के अधिकार के तहत एकत्रित की गई लैब रिपोर्ट्स के अनुसार इस पानी में कैल्शियम कार्बोनेट के रूप में क्षारीयता, नाइट्रेट के रूप में नाइट्रोजन ओर क्लोरीन की मात्र ज्यादा थी। इतना ही नहीं इसमे केल्शियम, मैग्नीशियम और हार्डनेस भी तय मात्रा से ज्यादा थी।
-क्या होता नुकसान?
एल्केलाइन पानी यानी कि क्षारीय पानी का नुकसान हमारे शरीर की अम्लता यानी एसिडिटी पर पड़ता है। शरीर में बीमारियों से लड़ने वाले फ्रेंडली बेक्टेरिया को पपणे के लिए शारीरिक अम्लता आवश्यक है। ज्यादा समय तक क्षारीय पानी पीने से शरीर की अम्लता कम होती जाती है, जिससे बॉडी फ्रेंडली बेक्टिरिया पैदा नही होने से बीमारियां घेरने लगती हैं।
नाइट्रेट की ज्यादा मात्रा पानी में होने से शरीर में खून की ऑक्सीजन को ले जाने की क्षमता कम हो जाती है। छह महीने के बच्चों को ज्यादा नाइट्रेट युक्त पानी पिलाने से ब्लू बेबी सिंड्रोम होने की आशंका रहती है। जिससे उनकी मौत भी हो सकती है।

सिरोही के मामले में ये तत्व इसलिए मानव जीवन पर प्रभाव नही दिखा सके कि इसकी हानिकारक तत्व तय मात्रा से थोड़े ही ज्यादा थे और एक पखवाड़े में ही विरोध के कारण इस सप्लाई को बंद कर दिया गया था। इसे ज्यादा समय तक सप्लाई किया जाता तो उसके नुकसान सामने आने की आशंका थी।
-ये स्थिति थी इस पानी में
कालका तालाब के पानी की आबूरोड सहित पीएचईडी की लैब में करवाई गयी जांच के अनुसार एल्केलिनिटी निर्धारित सीमा 150 की बजाय 250 मिली। इसी तरह क्लोराइड निर्धारित सीमा 70 की बजाय 110 मिला, नाइट्रेट निर्धारित सीमा 6 की बजाय 9 मिला। फ्लोराइड जरूर निर्धारित .4 ppm से कम .3 पीपीएम मिला। वहीं टोटल डिजॉल्वड सॉलिड तो दोगुना मिला।
-जहरीले पदार्थो को तो जांच हो नहीं
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि पीने योग्य पानी की टॉक्सिसिटी या जहरीले पदार्थों की मात्रा जाननी भी जरूरी है। इनमे आर्सेनिक, केडमियम, लेड और मर्करी की जांच ही नही की गई है। ये सभी कैंसर कारक तत्व हैं। इसके अलावा जोधपुर के ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट की जांच रिपोर्ट में कालका तालाब के पानी और प्रेशर फिल्टर के पानी के रासायनिक और लवणीय तत्वों में 10-10 गुना का अंतर मिला है, लेकिन ये निर्धारित मात्रा से कम हैं।

इसके बाद भी वहां से रिपोर्ट को संतोषजनक बताया है। इन जांच रिपोर्ट का फॉर्मेट मूल रूप से भूजल के अनुसार बना हुआ है, इसलिए सरफेस वाटर में आने वाले हानिकारक तत्वों की जांच इन रिपोर्ट्स में सामने नही आई।
-इनका कहना है…
आबूरोड की रिपोर्ट पर लोगों को विश्वास नही थी। इसलिये जोधपुर में दो लेब में इस पानी की जांच करवाई गई। हमने दोनो ही लैबों को सारी जांच करने को कहा था। उन्होंने उनके फॉर्मेट में निर्धारित टेस्ट किया। प्रेशर फिल्टर और कालका तालाब के पानी में अंतर आने का कारण ये थे कि सेम्पलिंग के दौरान उसका उपयोग नहीं होने के कारण पानी और सेड़ीमेट्री कम्पोनेंट नीचे ही जम चुके थे, वही तालाब का पानी बहता हुआ था।

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