अजमेर। अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 807वें सालाना उर्स में शिरकत करने आने वाले कलंदर एवं मलंगों का जत्था सात मार्च को अजमेर पहुंचेगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ख्वाजा साहब के खलीफा हजरत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दिल्ली में महरोली स्थित दरगाह से यह जत्था गत 23 फरवरी को अजमेर के लिए रवाना हुआ था।
तेरह दिन की पदयात्रा कर यह जत्था सालाना उर्स के लिए छड़ियां (निशान) लेकर उर्स की आमद का पैगाम दिल्ली से अजमेर तक देते हुए सात मार्च की सुबह अजमेर पहुंचेगा और शाम को पूरा दल अपने हैरतंगेज करतबों को दिखाते हुए गरीब नवाज की बारगाह में छड़ियों के निशान पेश करेगा। ये मलंग एवं कलंदर देश के विभिन्न प्रांतों से जुड़े है और प्रतिवर्ष यहां ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में छड़ियां लेकर आते हैं।
तीन मार्च को उर्स में झंडे की रस्म के साथ चांद दिखाई देने पर छह दिन का उर्स सात मार्च से विधिवत शुरू होगा और इसी दिन जन्नती दरवाजा भी खोला जाएगा। यह दरवाजा छह दिनों तक जायरीन के लिए खुला रहेगा और कुल की रस्म के बाद बंद कर दिया जाएगा।
इस दौरान छह मार्च की रात मजार शरीफ से संदल उतारा जाएगा और चौदह मार्च को महाना छठी भी मनाई जाएगी। बड़े कुल की रस्म सत्रह मार्च को होगी, जिसके साथ ही उर्स का विधिवत समापन हो जाएगा। सालाना उर्स के मद्देनजर दरगाह में व्यापक तैयारियां चल रही है।