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Kamal Nath says remaining farmers will be Debt forgiven after Lok Sabha elections - शेष किसानों के कर्ज भी लोकसभा चुनाव के बाद माफ किए जाएंगे : कमलनाथ - Sabguru News
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शेष किसानों के कर्ज भी लोकसभा चुनाव के बाद माफ किए जाएंगे : कमलनाथ

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शेष किसानों के कर्ज भी लोकसभा चुनाव के बाद माफ किए जाएंगे : कमलनाथ
Kamal Nath says remaining farmers will be Debt forgiven after Lok Sabha elections
Kamal Nath says remaining farmers will be Debt forgiven after Lok Sabha elections
Kamal Nath says remaining farmers will be Debt forgiven after Lok Sabha elections

भोपाल। मध्यप्रदेश में किसानों की कर्जमाफी को लेकर चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से आज लगाए गए आरोपों काे असत्य करार देते हुए कहा कि सरकार अपनी हर प्रतिबद्धता पूरी करेगी और शेष किसानों के कर्ज भी लोकसभा चुनाव के बाद माफ किए जाएंगे।

कमलनाथ ने अपने निवास पर संवाददताओं को कर्जमाफी से जुड़े तकनीकी पहलू विस्तार से समझाते हुए कहा कि वे पूर्व मुख्यमंत्री चौहान द्वारा लगाए गए सभी असत्य आरोपों के मद्देनजर अपना उज्जैन संसदीय क्षेत्र का दौरा बीच में छोड़ कर आए हैं। चौहान ने आज पूरी तरह असत्य आरोप लगाए हैं और वे सफेद झूठ हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें कर्जमाफी के मुद्दे पर चौहान का नहीं, किसानों का प्रमाणपत्र चाहिए है और किसान उनके साथ हैं।

कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल आज सुबह चौहान के निवास पर गया और उन्हें उन 21 लाख किसानों की सूची सौंपी, जिनका ऋण माफ किया गया है। इसके बावजूद चौहान सूची में नुस्ख नहीं निकालकर ऋण मामले को लेकर असत्य बयानी कर रहे हैं। चौहान ने इसके साथ ही पत्रकारों के समक्ष कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का पुराना वीडियो भी दिखाया, जिसमें वह दस दिनों में कर्जा माफ करने की बात कह रहे हैं। यह सब चौहान को शोभा नहीं देता, क्योंकि वे दस वर्षों से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं और उन्हें मालूम होना चाहिए कि कार्य किस तरह होते हैं।

कमलनाथ ने कहा कि गांधी की घोषणा के अनुरूप उन्होंने 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के दो घंटे के अंदर ही किसानों की ऋणमाफी का फैसला ले लिया था, लेकिन यह बात भी सच है कि इस प्रक्रिया में समय लगता है। पूर्व मुख्यमंत्री के नाते चौहान को यह समझना चाहिए। इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने तीन माह के अंदर ही 21 लाख किसानों के ऋण माफ कर दिए।

उन्होंने कहा कि कर्जमाफी का प्रावधान फसल ऋण के प्रकरणों के लिए ही है और यह पूरा करने के लिए उनकी पूरी तैयार है। कांग्रेस ने यह कभी नहीं कहा कि किसानों के फसल ऋण के अलावा अन्य ऋण भी माफ होंगे। वहीं चौहान ने आज खरगोन के जिस किसान की कर्जमाफी नहीं होने का उदाहरण दिया है, वह प्रकरण ट्रेक्टर-ट्रॉली के ऋण से जुड़ा है। ट्रेक्टर ट्राली का ऋण माफ नहीं किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चौहान इस तरह के अनर्गल आरोप लगाकर किसानों और जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहे हैं।

एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वयं पूर्व मुख्यमत्री चौहान के गृह गांव जैत में भी लोगों के कर्ज माफ हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि एक पूर्व मंत्री की पत्नी का भी कर्ज माफ किया गया है। चौहान के परिजनों के कर्ज माफ होने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि वे किसी के परिवार पर नहीं जाना चाहते हैं, पर जैत के कई लोगों के कर्ज माफ हुए हैं।

उन्होंने इस दौरान कर्जमाफी की प्रक्रिया में बैंकों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों से उन्होंने स्वयं बात की। किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर वे 50 फीसदी तक का कर्ज माफ करने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने कहा कि यदि राष्ट्रीयकृत बैंक कर्जमाफी के लिए राजी नहीं होते तो राज्य सरकार के पास इसके विकल्प भी थे। लेकिन राष्ट्रीयकृत बैंकों की भी गरज थी, इसलिए वे कर्जमाफी के लिए राजी हो गए।

वहीं सहकारिता के क्षेत्र से जुड़े बैंकों के कर्ज माफ कराने के लिए भी आवश्यक कदम उठाकर उन पर अमल किया गया। उनका दावा है कि ऐसा करने से सहकारिता से जुड़े बैंकों की स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने बताया कि जिन किसानों के दो लाख रूपयों तक ऋण माफ हुए हैं, लेकिन यदि उनका ऋण इससे अधिक है, तो उन्हें ऋण मुक्ति प्रमाणपत्र नहीं मिल सकता है। इसके लिए संबंधित किसान को दो लाख रूपए के बाद की राशि के 50 प्रतिशत हिस्से की व्यवस्था करनी होगी। शेष 50 प्रतिशत राशि की व्यवस्था सरकार करेगी और किसान को ऋण माफी प्रमाणपत्र दिलवाया जाएगा।

एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चौहान स्वयं को किसान पुत्र कहते थे, लेकिन उन्हीं के कार्यकाल में किसानों की छाती पर गोली मारी गयी। पूर्ववर्ती सरकार ने एक भी रूपए का ऋण माफ नहीं किया। उन्होंने कहा कि भाजपा शासित महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश से भी मध्यप्रदेश की तुलना कर्जमाफी के मामले में की जा सकती है और इसमें भी साफ नजर आएगा कि वास्तव में ऋण माफ मध्यप्रदेश में ही हुए हैं।