चेन्नई। कांची कामकोटि पीठम के मठाधीश्वर जयेन्द्र सरस्वती को गुरुवार को मठ के नंदवनम में श्री चंद्रशेकरेन्द्र की समाधि के निकट महासमाधि दी गई।
शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती की अंत्येष्टि संबंधी प्रक्रियायें कनिष्ठ शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती ने पूरी की। इस मौके पर तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित, केन्द्रीय मंत्री सदानंद गौडा, पोन राधाकृष्णन, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एच राजा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव सुरेश जोशी और बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति एवं श्रद्धालु मौजूद थे। पुरोहित ने इससे पहले शंकराचार्य को पुष्पांजलि दी।
मंत्रोच्चारण के बीच शंकराचार्य के पार्थिव शरीर को एक कुर्सी पर विराजमान कराया गया और उनके गुरु श्री चंद्रशेकरेन्द्र सरस्वती (महापेरियावर) के बगल में उन्हें वृंदावनम में महासमाधि दे दी गई।
मठ के वरिष्ठ आचार्य जयेन्द्र सरस्वती की अंत्येष्टि प्रक्रिया सुबह आठ बजे शुरू की गई। इस संस्कार को ‘वृंदावनम प्रवेशम’ कहा जाता है। शंकराचार्य के अंतिम संस्कार के दौरान पूरे देश से आए वैदिक पंडितों ने मंत्र और श्लोक उच्चारित किए।
शंकराचार्य को बैठी हुई मुद्रा में सात फुट गहरे और सात फुट चौड़े स्थान पर विराजित किया गया। उनके पार्थिव शरीर के पास एक बड़ी टोकरी रखी गई। टोकरी में नवरत्न, जड़ी बूटियां, नमक और चंदन भरा गया।
मठ के अधिकारियों ने बताया कि ‘कबालमोक्षम’ संस्कार के तहत प्रतीकात्मक रूप से एक नारियल शंकराचार्य के कपाल पर फोड़ा गया। उनकी महासमाधि के निर्माण के लिए दाे लोग नियुक्त किए गए हैं।
महासमाधि स्थल पर एक तुलसी का पौधा रोपा गया है जिसकी परिक्रमा करके श्रद्धालु ब्रह्मलोक सिधार गए शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को श्रद्धांजलि दे सकेंगे। शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती के अंतिम दर्शन के लिए देश और दुनिया भर के सभी वर्ग, जाति के लोग बड़ी संख्या में एकत्र हुए।
स्थानीय जुमा मस्जिद के मुखिया के नेतृत्व में मुस्लिमों के समूह ने शंकराचार्य के सम्मान में एक मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। जयेन्द्र सरस्वती का बुधवार को हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया था। करीब 2500 वर्ष आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित कांची मठ के विजयेन्द्र सरस्वती 70वें मठाधीश्वर बने हैं। इस समय मठ की सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।