कानपुर। उत्तर प्रदेश में कानपुर के चौबेपुर क्षेत्र में स्थित बिकरू गांव में दो तीन जुलाई की रात विकास दुबे और उसके तीन शूटरों ने पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र मिश्र की हत्या की थी। यह खुलासा आज गिरफ्तार किए गये हमले में शामिल गैंग के सदस्य शशिकांत पांडेय ने पत्रकारों के सवालों के जवाब में किया।
उसने कबूल किया कि दो तीन जुलाई की रात पुलिस क्षेत्राधिकारी देवेन्द्र मिश्र की अगुवाई में पुलिस टीम ने दबिश दी थी तब विकास गैंग ने सुनियोजित तरीके से हमला किया था। मिश्र सबसे आगे थे जिन्हें उसके घर के आंगन में खींच लिया गया था। बेरहमी से पीटने के बाद प्रवीण दुबे उर्फ बऊआ ने धारदार हथियार से उनका पैर काट दिया था। बाद में विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा ने उन पर फायर किए जिससे पुलिस अधिकारी की मृत्यु हो गई।
शशिकांत ने कहा कि पुलिस टीम के दविश देने की सूचना मिलने पर विकास ने 25 से 30 शूटरों को बुलाया था जिन्होेंने छतों से पोजीशन लेकर पुलिस टीम पर धावा बोला। सब अपने हथियार साथ लेकर आए थे। हमले में शहीद ज्यादातर पुलिस वालों की जान अमर, विकास और प्रभात ने ली थी।
गौरतलब है कि पुलिस मुठभेड़ में विकास, अमर, प्रभात और बउआ समेत छह दुर्दांत मारे जा चुके हैं। पुलिस ने इस दुस्साहिक वारदात में शामिल 21 अभियुक्तों की सूची बनाई थी जिनमें छह मुठभेड़ में मारे गये है जबकि शशिकांत समेत चार को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस को अभी 11 अभियुक्तों की तलाश है।
पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने आठ जुलाई को अमर दुबे को हमीरपुर के मौदहा क्षेत्र में एक संक्षिप्त मुठभेड़ के बाद मार गिराया था जबकि अगले रोज फरीदाबाद से गिरफ्तार किए गए प्रभात मिश्रा को पनकी क्षेत्र में भौंती हाइवे पर ढेर कर दिया गया था वहीं प्रवीण उर्फ बउआ को इटावा के सिविल लाइन क्षेत्र में पुलिस ने मार गिराया था।
गुरूवार को ही गैंगस्टर विकास दुबे उज्जैन में पकड़ा गया और ट्रांजिट रिमांड पर कानपुर लाया जा रहा था। संचेडी क्षेत्र में पुलिस का वाहन पलटने के बाद भाग रहे विकास को सुरक्षा बलाें ने ढेर कर दिया था। इस तरह तीन दिनो में सीओ के चाराें हत्यारे एक एक कर पुलिस मुठभेड़ में ढेर कर दिए गए।