कानपुर। उत्तर प्रदेश में कानपुर के चौबेपुर क्षेत्र में पुलिस उपाधीक्षक समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की दुस्साहसिक वारदात को अंजाम देने वाले हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके गुर्गों की तलाश में कई जिलों की खाक छान रही पुलिस के हाथ अब बाद भी खाली है वहीं इस घटना के बाद खाकी और अपराधियों के गठजोड़ पर सवाल उठने लगे हैं।
कुछ रोज पहले तक साधारण हिस्ट्रीशीटर के तौर पर समझे जाने वाले विकास को हल्के में लेने की भूल पुलिस महकमे को भारी पड़ी है जब उसे अपने जाबांज आठ जवानों को खोना पड़ा और सात अन्य अस्पताल में भर्ती है। शातिर दिमाग अपराधी ने बड़े ही सुनियोजित तरीके से वारदात को अंजाम दिया हालांकि उसके इस खूनी खेल में पुलिस के मददगार बने रहने की भूमिका सामने आने से आला अधिकारियों के साथ साथ सरकार की पेशानी में बल पड़े हैं। पुलिस के एक आला अधिकारी ने इस घटना को लेकर अपने समकक्ष पर ही सवाल उठा दिया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि विकास और उसके शूटरों को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए 800 से अधिक अधिकारी और जवान रात दिन एक किए हुए हैं। 25 हजार के इनामी अपराधी से मोस्टवांटेड की लिस्ट में आ चुके विकास दुबे के पोस्टर कानपुर लखनऊ हाइवे के नवाबगंज टोल प्लाजा समेत अन्य जिलों की सीमाओं पर चस्पा कराए गए हैं। पिछले तीन दिनों के दौरान उसकी गिरफ्तारी पर मिलने वाली इनाम की रकम भी बढ़ बढ़ कर ढाई लाख रूपए पर पहुंच गई है।
उन्होंने बताया कि विकास के दो रिश्तेदार साथियों को पुलिस ने वारदात के कुछ ही घंटों के भीतर ढेर कर दिया था जबकि रविवार तड़के एक मुठभेड़ में उसके नौकर दयाशंकर अग्निहोत्री को जिंदा पकड़ा गया जिसने पुलिस को अहम जानकारियां दी है। दयाशंकर के मुताबिक विकास को दबिश की सूचना चार घंटे पहले ही मिल गई थी। चौबेपुर थाने से मिली जानकारी के बाद शातिर ने फोन कर 30 शार्प शूटरों को बुलाया जिसके बाद खूनी खेल का खाका खींचा गया।
दयाशंकर के मुताबिक दबिश में शामिल पुलिसजनों को जान से मारने की पूरी योजना थी जिसमें दबिश के समय थाने की मदद से ऐन वक्त पर बिजली को काटा गया था। छतों में चढ़े शार्प शूटर ने निशाना बनाकर पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया। अस्पताल में भर्ती बिठूर के थानाध्यक्ष कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने दयाशंकर की बात की तस्कीद भी की है।
सिंह ने बताया कि दबिश के लिये एसओ चौबेपुर ने चलने की सूचना दी थी जिसके लिए वह रात 12.30 बजे निकल कर करीब एक बजे बिकरू गांव पहुंचे। दबिश में शामिल अधिकारियों ने वाहनो को गांव के 150-200 मीटर पहले पार्क किया और वहां से पैदल गांव मे दाखिल हुए। विकास के घर के सामने एक जेसीबी खड़ी मिली जिसको पार करते ही चारों तरफ से फायरिंग शुरू हो गई।
उन्होंने कहा कि हमने तुरन्त कुछ जगह ढूंढी और आड़ लेकर छिपने का प्रयास किया। आड़ मिलने के बाद हमने फायरिंग शुरू की लेकिन हमें कुछ दिख नहीं रहा था। हम नीचे थे वो ऊपर थे। साथ ही हमारे साथी घायल भी हो चुके थे मेरे साथियों को मैंने बचाने का सोचा और दो को बचाने में कामयाब भी रहा लेकिन हमारे बाकी साथी बुरी तरह घायल थे, हमारी हर मूवमेंट ऊपर से देखी जा सकती थी पर हम कुछ नहीं देख सकते थे इस नाते हमारे इतने साथी की मौतें हुई।
पुलिस अधिकारियों ने बिजली कट के बारे में तहकीकात की जिसमें पता चला कि थाने से बिजली काटने का आदेश मिला था। पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने भी माना है कि दबिश से जाने से पहले नियमानुसार पुलिसजन सुरक्षा उपकरणों से लैस नहीं थे। शायद उन्हें आभास नहीं था कि शातिर इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है।
उधर, शहीद क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा द्वारा तत्कालीन एसएसपी अनंत देव को भेजा गए पत्र के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अधिकारी सतर्क हुए है। इस पत्र को आधार बना कर आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने पुलिस महानिदेशक हितेश चन्द्र अवस्थी को पत्र लिखकर कार्यवाही कर मांग की है।
अमिताभ ने कहा कि मिश्र ने अनंत देव को साफ़ तौर पर बताया था कि पूर्व थानाध्यक्ष चौबेपुर विनय तिवारी का विकास दुबे के पास आना जाना बना हुआ है। पिछली 13 मार्च को चौबेपुर थाना में अभियुक्त विकास दुबे व अन्य के विरुद्ध दर्ज मुकदमा संख्या 65/2020 धारा 386, 147, 148, 323, 504, 506 आईपीसी के विवेचक अजहर इशरत ने धारा 386 को कतिपय बेबुनियाद आधारों पर हटा दिया था।
दिवंगत सीओ द्वारा पूछताछ करने पर विवेचक ने बताया कि उन्होंने चौबेपुर थानाध्यक्ष विनय तिवारी के कहने पर ऐसा किया था। मिश्र ने एसएसपी कानपुर नगर को इस पर कार्यवाही की संस्तुति की थी।
उन्होंने कहा कि इस पत्र के बाद भी अनंत देव द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया जाना घोर प्रशासनिक कदाचार है और वे भी इस जघन्य घटना के लिए सीधे तौर पर उत्तरदायी हैं। पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि पत्र की सत्यता की जांच के लिए एसएसपी कार्यालय से जरूरी कार्यवाही करने को कहा गया है।
इस बीच बिकरू गांव में हुए हत्याकांड के बाद चौबेपुर थाने में तैनात एक पुलिस उपनिरीक्षक कुंवर पाल और कृष्ण कुमार शर्मा तथा सिपाही राजीव को कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। इससे पहले पुलिस प्रशासन थानाध्यक्ष विनय तिवारी को निलंबित कर चुका है। एसटीएफ तिवारी से कड़ी पूछताछ कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि वारदात के बाद शक के घेरे मे आए चौबेपुर थाने के लगभग सभी पुलिसकर्मियों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए हैं। इसके साथ शिवली, शिवराजपुर और बिल्हौर थाने के भी कुछ पुलिसकर्मियों के फोन जमा किए गए हैं जिनकी काल डिटेल की जांच की जा रही है।
इस बारे में पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि जघन्य वारदात में यदि कोई पुलिस अधिकारी अथवा कर्मी की भूमिका पाई जाती है तो उसके साथ अपराधियों जैसा बर्ताव किया जाएगा। उनके खिलाफ हत्या की धाराओं में मुकदमा दर्ज होगा और उन्हें जेल भेजने में भी संकोच नहीं होगा।
अग्रवाल ने बताया कि कानपुर मंडल स्में पुलिस की 40 टीमें शातिर की तलाश कर रही है जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में 20 टीमे हत्यारों की सरगर्मी से तलाश कर रही है।
गौरतलब है कि गुरूवार और शुक्रवार की रात चौबेपुर के बिकरू गांव में हत्या के प्रयास के मामले में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर बदमाशों ने फायरिंग की थी। इस हमले में पुलिस उपाधीक्षक बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्र के अलावा शिवराजपुर के थाना प्रभारी महेश यादव, मंधना चौकी प्रभारी अनूप कुमार, शिवकराजपुर थाने में तैनात उपनिरीक्षक नेबूलाल, चौबेपुर थाने में तैनात कांस्टेबल सुल्तान सिंह, बिठूर थाने में तैनात कांस्टेबल राहुल, जितेंद्र और बबलू शहीद हो गए थे जबकि घटना में घायल सात पुलिसकर्मियों को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।