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कांग्रेस के खिलाफ था कर्नाटक का जनादेश : अमित शाह
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कांग्रेस के खिलाफ था कर्नाटक का जनादेश : अमित शाह

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कांग्रेस के खिलाफ था कर्नाटक का जनादेश : अमित शाह
Karnataka mandate against unholy congress-JDS alliance : Amit Shah
Karnataka mandate against unholy congress-JDS alliance : Amit Shah

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जनादेश पूरी तरह से कांग्रेस विरोधी था और उसने सरकार बनाने के लिए जनता दल (एस) के साथ अपवित्र गठबंधन किया है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चुनाव में जनता ने कांग्रेस को नकार दिया और उसकी सीटें 122 से घटकर 78 पर सिमट गई। उसके मुख्यमंत्री सिद्दारामैया एक सीट पर हार गए और एक सीट पर बहुत ही कम मतों से जीत पाए।

इसके अलावा उनके आधे मंत्री भी हार गए। दूसरी ओर भाजपा की सीट 40 से बढ़कर 104 हो गई और वह सीटों एवं वोटाें की हिस्सेदारी के हिसाब से सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

भाजपा के सरकार बनाने का दावा करने पर उठे सवालों पर उन्होंने कहा कि जब किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं था तो क्या वहां फिर से चुनाव कराया जाता। भाजपा ने कांग्रेस विरोधी जनादेश को समझ कर सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का दावा किया और यदि ऐसा नहीं करती तो यह जनादेश के खिलाफ होता। उन्होंने कहा कि सरकार बनाना कतई अनुचित नहीं था।

कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार के गठन के साथ गोवा और मणिपुर में सरकार के गठन की प्रक्रिया को लेकर उठ रहे सवालों पर शाह ने स्पष्ट किया कि गोवा और मणिपुर में कांग्रेस ने सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा ही पेश नहीं किया था। इसके बाद राज्यपाल को दूसरी बड़ी पार्टी के रूप में भाजपा को बुलाना पड़ा। ऐसी कभी नहीं हुआ कि सबसे बड़ी पार्टी के दावे का नकार कर भाजपा को बुलाया गया हो।

शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और जनता दल (एस) ने अपने विधायकों को होटल में बंधक बनाकर रखा। उन्हें जनता से मिलने तक नहीं दिया। उन्हें जनता से मिलने दिया जाता तो विश्वास मत का परिणाम कुछ और होता। जनता इन विधायकों को बता देती कि उन्हें कहां वोट डालना है।

उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस किस बात का जश्न मना रही है। क्या वह 122 सीटों से घटकर 78 पर आने का जश्न मना रही है या आधे मंत्रियों के हारने, कई सीटों पर उम्मीदवारों की जमानतें जब्त होने और पार्टी ‘तीन पी’ पंजाब, पुड्डुचेरी और परिवार तक सिमटने जश्न मना रही है।

जनता दल एस की भी 40 की बजाय 38 सीटें आईं हैं और 80 प्रतिशत सीटों पर उसकी जमानत तक जब्त हो गई है। उन्होंने कहा कि हम चुनाव जीते हैं लेकिन वे हार में भी जीत ढूंढ़ने का दावा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने सरकार बनाई और विधानसभा के पटल पर अपनी पूरी बात कहने के बाद इस्तीफा दे दिया।

कांग्रेस-जनता दल (एस) गठबंधन को अपवित्र करार देते हुए शाह ने कहा कि ये दोनों दल एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े थे। जद (एस) का पूरा चुनाव प्रचार कांग्रेस तथा उसकी सरकार के कामकाज के खिलाफ था।

उसके नेता एचडी कुमार स्वामी ने प्रचार के दौरान कई बार कांग्रेस के खिलाफ बयान दिए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जद (एस) नेता एच डी देवगौड़ा के खिलाफ वक्तव्य दिए थे और जनता दल एस को जनता दल संघ कह कर पुकारा था। लेकिन अब ये ही दोनों दल एक साथ आ गए हैं।

उन्होंने कहा कि जनता ने कांग्रेस को नकारा और जो उसे हरा सकता था उसे जिताया। जनता दल एस को भी वहीं जीत मिली जहां भाजपा का संगठन परंपरागत रूप से ‘निर्बल’ था। शाह ने कहा कि भाजपा सरकार बनाने से सिर्फ सात सीटें पीछे रही। पार्टी को उम्मीद थी कि जो कांग्रेस के खिलाफ लड़े हैं वे हमारा समर्थन करेंगे।

भाजपा पर विधायकों की खरीद फरोख्त (हार्स ट्रेडिंग) की कोशिश करने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि पार्टी ने ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि कांग्रेस ने पूरा का पूरा ‘अस्तबल’ ही बेच खाया। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने अगर ‘हाॅर्स ट्रेडिंग’ की होती तो नज़ारा कुछ और होता।

शाह ने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस की राज्य सरकार के पांच साल के भ्रष्टाचार, कुशासन, तुष्टीकरण, कानून एवं व्यवस्था, दलित तथा महिला उत्पीड़न और किसानों की आत्महत्या के मुद्दों पर चुनाव लड़ा था। इसके साथ ही केन्द्र की मोदी सरकार के कामकाज और कर्नाटक को दी गयी सहायता को मुद्दा बनाया था।

उन्होंने कहा कि चुनाव के पहले कांग्रेस ने भांप लिया था कि वह चुनाव हारने जा रही है। इसी कारण से उसने इस चुनाव के दौरान सारी मर्यादाएं तोड़ दीं। कांग्रेस ने हिन्दू धर्म के विभाजन की कोशिश की, एसडीपीआई और पीएफआई जैसे गैरकानूनी संगठनों का समर्थन लिया, फर्जी वोटर आईडी बनवाने की फैक्टरी चलाई और अनुसूचित जाति एवं जनजाति को अारक्षण खत्म होने की बात कह कर भड़काने का भी प्रयास किया।

उन्होंने कहा कि कचरे के ढेर में वीवीपीएटी मशीनें मिलीं हैं। इस बार इतना कालाधन चला जिससे दस विधानसभा चुनाव लड़े जा सकते हैं। उन्होंने कटाक्ष किया कि इस चुनाव की एक अच्छी बात यह रही कि इसके बाद कांग्रेस को लोकतांत्रिक संस्थाएं अच्छी लगने लगीं हैं। उसे उच्चतम न्यायालय, चुनाव आयोग और ईवीएम अच्छे लग रहे हैं। भाजपा इसका स्वागत करती हैं और उम्मीद करती है कि भविष्य में भी वह ऐसा ही करेगी।

उच्चतम न्यायालय द्वारा बीएस युदियुरप्पा को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन की बजाय केवल एक दिन का समय दिए जाने के फैसले पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर शाह ने कहा कि इस फैसले से उन्हें कोई नाराजगी, ऐतराज या खुशी आदि कोई भावना नहीं है।

अदालत का फैसला मानने के लिए होता है और भाजपा ने उसका पालन किया। उन्होंने कटाक्ष किया कि भाजपा हमेशा से न्यायालयों का सम्मान करती है और फैसला खिलाफ आने पर मुख्य न्यायाधीश के विरुद्ध महाभियोग नहीं लाएगी। शाह ने कहा कि भाजपा नौ उप चुनाव हार गई तो विपक्ष शोर मचाने लगा जबकि 2014 के बाद कांग्रेस का 14 राज्यों में सफाया हो गया तो उसे यह दिखाई नहीं देता।

येदियुरप्पा द्वारा विश्वासमत हासिल करने के लिए राज्यपाल से सात दिन का समय मांगे जाने और राज्यपाल द्वारा 15 दिन का समय दिए जाने के कांग्रेस के आरोप पर शाह ने दावा किया कि येदियुरप्पा ने राज्यपाल से बहुमत साबित करने के लिए सात दिन का समय नहीं मांगा था। कांग्रेस के वकील ने उच्चतम न्यायालय से यह कह कर सरासर झूठ बोला है। कांग्रेस को इस बारे में सबूत पेश करना चाहिए।

लोकसभा चुनावों के लिए विपक्षी एकता और महागठजोड़ के बारे में पूछे जाने पर भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी, अखिलेश यादव आदि सभी नेता भाजपा के खिलाफ लड़े थे तो अगले चुनाव में भी खिलाफ लड़ेंगे। लेकिन बनर्जी कर्नाटक में क्या कर लेंगी, अखिलेश यादव मध्य प्रदेश में क्या कर लेंगे। पर भाजपा 50 प्रतिशत से अधिक मतों को हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है।