चित्रदुर्ग। कर्नाटक के मुरुघा मठ के पुजारी डॉ. शिवमूर्ति शरणारू ने चित्रदुर्ग के अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत से अग्रिम जमानत देने की मांग की है क्योंकि मठ द्वारा संचालित छात्रावास में रहने वाली दो लड़कियों ने उनके खिलाफ यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा (पॉक्सो) एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया है।
पीड़िता द्वारा शिकायत दर्ज करने और पुलिस द्वारा चार अन्य लोगों के साथ उनपर आरोप तय करने के बाद संत ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। पीड़िता का बयान दर्ज करने और चिकित्सा परीक्षण करने के बाद इस मामले को चित्रदुर्ग स्थानांतरित कर दिया गया। सोमवार को सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने सरकारी वकील, शिकायतकर्ता और सभी पीड़ितों को नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई एक सितंबर को होगी।
इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि पुलिस द्वारा मामले की जांच की जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा संत का समर्थन करते हुए उनके खिलाफ लगे आरोपों को खारिज कर दिया। हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी संत से मिलने उनके मठ पर गए थे।
मुरुगा मठ पुजारी के खिलाफ पॉक्सो मामला एक साजिश
चित्रदुर्ग में बीस धार्मिक संतों के एक समूह ने मुरुगा मठ के पुजारी समर्थन में लामबंद होकर दावा किया कि उनके खिलाफ यौन शोषण का आरोप स्वार्थी लोगों की साजिश है। लिंगायत समुदाय के मदरा चनिय्या साधु ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि मठ के संतों ने समाज में जातियों की बेड़िया को तोड़कर क्रांति ला दी थी। स्वार्थी लोग उनकी प्रगति को सहन नहीं कर पा रहे हैं और उनके खिलाफ आरोप लगा रहे हैं।
गौरतलब है कि दो लड़कियों ने ओढानी सेवा समिति की मदद से संत पर यौन शोषण करने का आरोप लगाते हुए मैसुरु पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। श्री चनिय्या ने कहा कि अब मामले को चित्रदुर्ग स्थानातंरित कर दिया गया है और पीड़ितों को शहर में बाला मंदिरा ले जाया गया है। यह साजिश है और जांच में सच्चाई सामने आ जाएगी।
इस बीच राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि संत के खिलाफ जांच में देरी हुई। उन्होंने मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप से इनकार किया और कहा कि पुलिस कानून के मुताबिक काम करेगी।