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Karonda enriched with nutrients and medicinal properties - Sabguru News
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पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर है करौंदा

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पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर है करौंदा
पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर है करौंदा
पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर है करौंदा
पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर है करौंदा

नई दिल्ली। देखने मे करौंदा न केवल विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर है बल्कि यह औषधीय गुणों का भी स्रोत है जिसे बंजर या ऊसर जमीन पर भी इसे आसानी से लगाकर किसान अतिरिक्त आय कमा सकते हैं। लाल, उजले और हरे रंगों के करौंदे में विटमािन , विटामिन सी और कैल्शियम के अलावा कार्बोहाईड्रेट, खनिज लवण और वसा भी पाया जाता है, इसमें सभी फलों से ज्यादा लौह तत्व पाया जाता है जिसके कारण इसे ‘आयरन की गोली’ के नाम से भी जाना जाता है। करौंदे के पके फल से वाईन भी बनाया जाता है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पाली कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक चंदन कुमार, मोती लाल मीणा और धीरज सिंह के अनुसार करौंदा के सौ ग्राम शुष्क फल से 364 कैलोरी ऊर्जा, 2.3 प्रतिशत प्रोटीन, 2.8 प्रतिशत खनिज लवण, 9.6 प्रतिशत वसा , 67.1 प्रतिशत कार्बोज और 39.1 मिली ग्राम लौह तत्व पाया जाता है।

करौंदे की चटनी
करौंदे की चटनी

करौंदे के फल से न केवल सब्जी, अचार और चटनी बनती है। इसके अलावा जेली, मुरब्बा, स्क्वैश, सिरप और जेली भी बनायी जाती है। करौंदे की पत्तियां रेशम के कीड़े का आहार हैं। इसकी लकड़ी से कंघी और चम्मच बनाये जाते हैं। इसकी पत्तियों के रस का बुखार में उपयोग किया जाता है। इसके जड़ के रस का उपयोग पेट के कीड़ों के उपचार में भी होता है।

करौंदे की जैली
करौंदे की जैली

करौंदा शुष्क क्षेत्र और ऊसर जमीन के लिए भी उपयोगी बागवानी फसल है। कांटेदार और झाड़ीनुमा होने के कारण लघु एवं सीमांत किसान खेतों के किनारे इसकी झाड़ी लगाकर आवारा जानवरों से न केवल अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं बल्कि इसके फल से अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर सकते हैं। भारत से अब इसका निर्यात भी शुरू हो गया है। करौंदा के पौधे के एक बार लग जाने के बाद इसकी विशेष देखरेख की जरुरत नहीं होती है।

करौंदे का आचार
करौंदे का आचार

गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने करौंदे की तीन किस्में विकसित की हैं जिनमें पंत सुवर्णा, पंत मनोहर और पंत सुदर्शन शामिल हैं। पंत सुवर्णा के पौधे झाड़ीनुमा तथा फल गहरी हरी पृष्ठभूमि के हल्की भूरी आभा लिए होते हैं। इसके फल का औसत भार 3.62 ग्राम होता है और प्रति पौधा 25 किलोग्राम तक इसकी उपज होती है।

पंत मनोहर के पौधे मध्यम ऊंचाई के घनी झाड़ीनुमा होते हैं। इसका फल सफेद पृष्टभूमि पर गहरी गुलाबी आभा लिए होता है। इसके फल का औसत भार 3.49 ग्राम होता है और प्रति पौधा 35 किलोग्राम तक इसकी पैदावार ली जा सकती है। पंत सुदर्शन के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं। इसके फल सफेद पृष्टभूमि पर गुलाबी आभा लिए होते हैं। प्रति पौधे 32 किलोग्राम तक इसकी पैदावार ली जा सकती है।

करौंदे की अन्य किस्मों में कोंकणबोल्ड, सीआईएसएच करौंदा 11, थार कमल, नरेन्द्र करौंदा-1, कैरिसा ग्रैंडीफ्लोरा, कैरिसा इडूलिसा, कैरिसा, वोवैटा और कैरिसा सिपिनड्रम प्रमुख हैं। करौंदे का उत्पत्ति स्थान भारत है। करौंदे के पौधे को जून-जुलाई में लगाया जाता है। सिंचित क्षेत्र में इसे मार्च-अप्रैल में भी लगाया जा सकता है। करौंदा का पौधा लगाने के तीन साल बाद फलने लगता है और लम्बी अवधि तक यह आय का जरिया बना रह सकता है। भारत के अलावा दक्षिण अफ्रीका और मलेशिया में भी इसकी बागवानी की जाती है।