नई दिल्ली। कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी को नित नए घोटालों पर पर्दा डालने के लिए जनता का ध्यान भटकाने की मोदी सरकार की चाल करार देते हुए बुधवार को उससे इस बात का जवाब मांगा कि घोटालेबाज भगोड़े विदेश कैसे फरार हो गए और ‘चौकीदार’ क्याें सोया रह गया।
कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यहां पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि ललित मोदी, नीरव मोदी, मेहुल चोक्सी अौर विजय माल्या 30 बैंकों को 22606 करोड़ रूपए का चूना लगा कर विदेश फरार हो गए। पिछले दस दिनों में रोटोमैक का एक बैंक को 3695 करोड़ रूपए का तथा द्वारका दास सेठ ज्वैलर्स द्वारा 390 करोड़ रूपए का घोटाला सामने आया है।
इस तरह 31691 करोड़ रूपए का ‘जनधन लूट घोटाला ’हुआ है। उन्होंने कहा कि इन घोटालों से ईमानदारी का मोदी सरकार का मुखौटा तहस -नहस हो गया है आैर इन पर पर्दा डालने के लिए उसने कार्ति को गिरफ्तार किया है।
सुरजेवाला ने केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय पर भारतीय जनता पार्टी के ‘अनुषांगिक संगठन’ की तरह काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि घोटालेबाज भगोड़ों को पकड़ने की बजाय वह राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रहे अपने ‘आकाओं’ के इशारे पर कांग्रेस के नेताओं और उनके परिजनों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। लेकिन कांग्रेस इन छोटे-मोटे मुकदमों से डरने और झुकने वाली नहीं है और वह विपक्षी पार्टी के ताैर पर सरकार को सच्चाई का आईना दिखाने का काम जारी रखेगी।
सुरजेवाला ने कहा कि चिदंबरम और उनके बेटे ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है जिसकी अगली सुनवाई छह मार्च को हाेनी है आैर सीबीआई को जवाब देना है। उन्होंने सवाल किया कि सुनवाई से पहले कार्ति को गिरफ्तार करके सरकार क्या संदेश देना चाहती है।
उन्होंने कहा कि सीबीआई के आरोप के अनुसार आईएनएक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड ने विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से मंजूरी के लिए एक कंपनी को 10 लाख रुपए का भुगतान चेक से किया था। एफआईपीबी ने 18 मार्च 2007 को मंजूरी दी थी। चिदंबरम स्पष्ट कर चुके हैं कि इस कंपनी में उनके परिवार का कोई सदस्य शेयरधारक नहीं और इससे उनका कोई सम्बन्ध नहीं है। मंजूरी के 10 वर्ष बाद मई 2017 में इसकी प्राथमिकी दर्ज की गई।
इस मामले की एफआईआर में कार्ति आैर विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी)के किसी सदस्य का नाम तक नहीं है। सीबीआई ने एफआईपीबी के किसी सदस्य से पूछताछ भी नहीं की है। उसने सिर्फ संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी से पूछताछ की है। सुरजेवाला ने दावा कि इस अधिकारी ने स्पष्ट ताैर पर कहा है कि एफआईपीबी ने बिना किसी दबाव या पक्षपात के इसकी मंजूरी दी थी।
उन्होंने कहा कि कार्ति जांच में पूरा सहयोग कर रहे थे और अदालत से अनुमति मिलने के बाद ही विदेश गए। इसके बावजूद उन्हें गिरफ्तार किया गया।