Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
Kartik Purnima all the deities pleased by taking charity and bathing - Sabguru News
होम Latest news कार्तिक पूर्णिमा पर दान-पुण्य स्नान करने से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं

कार्तिक पूर्णिमा पर दान-पुण्य स्नान करने से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं

0
कार्तिक पूर्णिमा पर दान-पुण्य स्नान करने से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं
Kartik Purnima all the deities pleased by taking charity and bathing
Kartik Purnima all the deities pleased by taking charity and bathing
Kartik Purnima all the deities pleased by taking charity and bathing

आज देशभर में कार्तिक पूर्णिमा का त्याेहार धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से यह दिन दान पुण्य स्नान के लिए जाना जाता है। आज ही के दिन सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म भी हुआ था। आज समूचा देश गुरु नानक की 550 वीं जयंती मना रहा है। गुरु नानक जी की जयंती मनाने के लिए भारत से हजारों श्रद्धालु पाकिस्तान करतारपुर साहिब गए हुए हैं।

प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार, नासिक और पुष्कर में लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाकर पुण्य कमाया। कार्तिक पूर्णिमा के दिन देश के कई शहरों में मेला भी आयोजित होते हैं। हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा की काफी महत्ता बताई गई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान और दान करना काफी फलदायक माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है तो ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाते हैं, तो उनके कई जन्मों के पापों का नाश हो जाता है।

माना जाता है कि इस दिन जरूरतमंदों को दान करने से लोगों पर समस्त देवी-देवताओं का आशीर्वाद बना रहता है। अगर इस दिन विशेष विधि से पूजा-अर्चना की जाए तो समस्त देवी-देवताओं को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। इस दिन पूरी विधि और मन से भगवान की आराधना करने से घर में धन और वैभव बना रहता है। साथ ही मनुष्य को सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है। इस पवित्र दिन विधि विधान से पूजा-अर्चना करने पर जन्मपत्री के सभी ग्रहदोष दूर हो जाते हैं। देश के कई जगहों पर कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा बनाने का यह है कारण

कार्तिक पूर्णिमा को मनाने का कारण और मान्यता है कि त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस ने प्रयाग में एक लाख साल तक घोर तप किया जिससे ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर उसे दीर्घायु का वरदान दिया था। इससे त्रिपुरासुर में अहंकार आ गया और वह स्वर्ग के कामकाज में बाधा डालने लगा व देवताओं को आए दिन तंग करने लगा। इस पर सभी देवी देवताओं ने शिवजी से प्रार्थना की कि उन्हें त्रिपुरासुर से मुक्ति दिलाएं। इस पर भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर नामक राक्षस को मार डाला था। तभी से कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा कहा जाने लगा। इसे गंगा दशहरा भी कहा जाता है।

इस प्रकार करें पूजा-अर्चना

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर गंगा स्नान या घर पर स्नान कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें। इस दिन व्रत रखें। अगर नहीं हो सकता है, तो कम से कम एक समय तो जरूर रखें।इसके बाद श्री सूक्त और लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करते हुए हवन करें। इससे महालक्ष्मी प्रसन्न होगी। रात को विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें। इसके बाद सत्यनारायण की कथा सुनें या पढ़े। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती उतारने के बाद चंद्रमा को अर्ध्य दें।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार