वाराणसी। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर में अपने उद्बोधन का आरंभ और समापन काशीवासियों के प्रचलित और बेहद लोकप्रिय धर्मघोष ‘हर हर महादेव’ के साथ किया। साथ ही उन्होंने बनारसी शैली की भोजपुरी में भी लोगों से संवाद किया।
काशी में सार्वजनिक आयोजनों में लोग बार बार ‘हर हर महादेव’ का उद्घोष करते हैं। आज भी इस पारंपरिक धर्मघोष से ही पूर्व काशी नरेश का स्वागत किया जाता है।
बनारस में एक ख़ास तरह की भोजपुरी बोली जाती है। मोदी ने अपने सम्बोधन में आदि से अंत तक कई बार भोजपुरी का प्रयोग किया। उन्होंने संबोधन के शुरु में कहा कि काशी के सभी बंधुओं के साथ, बाबा विश्वनाथ के चरणों में हम शीश नवावत हई।
माता अन्नपूर्णा के चरणन क बार बार बंदन करत हई। हम बाबा विश्वनाथ दरबार से, देश दुनिया के, उन श्रद्धालु-जनन के प्रणाम करत हई, जो अपने अपने स्थान से, इस महायज्ञ के साक्षी बनत हऊअन। हम आप सब काशी वासी लोगन के, प्रणाम करत हई, जिनके सहयोग से, ई शुभ घडी आयल हौ। हृदय गद् गद् हौ। मन आह्लादित हौ। आप सब लोगन के बहुत बहुत बधाई हौ।
उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम परियोजना के पूरा होने को बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद बताया। उन्होंने कहा कि ई विश्वनाथ धाम, त बाबा आपन आशीर्वाद से बनईले हवुअन। उनकर इच्छा के बिना, का कोई पत्ता हिल सकेला? कोई कितना बड़ा हव, तो अपने घरै क होइहें। ऊ बूलय्ये तबे कोई आ सकेला, कुछ कर सकेला।