-परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-सिरोही। पुलवामा हमले के बाद एक बार फिर से सिंधु जल समझौते की बात चल निकली है। हल्ला यह मच रहा है कि भारत ने पाकिस्तान का पानी रोक दिया है और पाकिस्तान अब प्यासा मरेगा, बंजर हा जाएगा।
इन दावों की सच्चाई क्या है यह बाद का मुद्दा है, लेकिन जब सिंधु जल समझौते की बात फिर चल निकली है तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब राजस्थान के पाली और सिरोही जिले की प्यास कश्मीर के पानी से बुझ पाएगी या नहीं। ऐसा संभव है, बशर्ते की राजनीतिक इच्छाशक्ति हो।
-यूं समझें इस प्रोजेक्ट की फिजिबिलिटी को
सिंधु बेसिन में छह नदियां आती हैं। पश्चिमी हिस्से में सिंधु, चेनाब और झेलम तथा पूर्वी हिस्से में रावी, बियास और सतलज। पश्चिमी हिस्से का पानीकी सिंधु, चेनाब और झेलम का पानी पाकिस्तान इस्तेमाल कर सकेगा। छहों नदियों में वर्षभर में 168 मिलीयन एकड़ फीट(एमएएफ) पानी बहता है।
जिसमें से भारत के हिस्से की तीन नदियों से 33 एमएएफ पानी में से 2019 तक भारत इसमें से भी 94 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल कर पा रहा है शेष पानी पाकिस्तान चला जा रहा है। इस छह प्रतिशत पानी को भी रोक ले तो जम्मू कश्मीर और पंजाब के साथ राजस्थान की भी प्यास बुझ सकती है।
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी भी अपने बयान में यह बात कह चुके हैं कि जम्मू कश्मीर और पंजाब के इस्तेमाल के बाद शेष पानी राजस्थान को दिया जाएगा।
-आखिर क्या है देरी?
भारत के हिस्से की तीन नदियों से बहकर पाकिस्तान जा रहे पानी को रोकने के लिए चार प्रोजेक्ट लंबित हैं। इसमें से जम्मू और पंजाब सरकार के विवाद के निपटने के बाद रावी नदी पर शाहपुर कांडी बांध प्रोजेक्ट की शुरूआत हो चुकी है, वहीं मकोडा बांध प्रोजेक्ट पर केन्द्र से चर्चा चल रही है। वहीं रावी-ब्यास लिंक, उझ बांध प्रोजेक्ट और पंदोह बांध प्रोजेक्ट अब भी लम्बित है।
-यूं बुझ सकती है पाली-सिरोही की प्यास
पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थलीय जोधपुर व बीकानेर संभाग के छह जिलों में पेयजल और सिंचाई की आवश्यकता की पूर्ति सतलज-ब्यास संगम पर बने हरिके बांध से निकली राजस्थान नहर परियोजना और नर्मदा परियोजना से हो चुका है। जोधपुर जिले में भी राजस्थान नहर का पानी पहुंच चुका है।
जोधपुर संभाग के सिर्फ पाली और सिरोही जिले ही ऐसे हैं जो पानी के बारहमासी स्रोत से नहीं जुडे हुए हैं। जोधपुर को राजस्थान नहर का पानी मिला तो पाली में जवाई का पानी पहुंच गया। लेकिन, सिरोही जिले का हाल अब भी खराब है। अच्छी बारिश नहीं होने पर यहां पर पेयजल किल्लत शास्वत है।
ऐसे में यदि पाली-सिरोही के जनप्रतिनिधि मिलकर प्रयास करें और अगले तीन सालों में शाहपुर कांडी बांध तैयार होने से पहले राजस्थान सरकार पर इस बात दबाव बना सकें कि जोधपुर तक पहुंची राजस्थान नहर को पेयजल आवश्यकता की पूर्ति के लिए पाली और सिरोही तक लाने का प्रोजेक्ट बने।
शाहपुर कांडी प्रोजेक्ट बनने से राजस्थान को मिलने वाले कश्मीर के पानी की हिस्सेदारी बढ़ेगी। ऐसे में पाली और सिरोही को कश्मीर का पानी मिलने की योजना फिजियेबल भी है। या फिर राजस्थान नहर से मिलने वाला पानी पूरे पाली जिले को मिल जाए और सुमरेपुर में स्थित जवाई बांध का पानी पेयजल आपूर्ति के लिए सिरोही जिले के लिए आरक्षित कर दिया जाए।