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Kejriwal raised questions on BJP strategy - Sabguru News
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भाजपा की रणनीति पर केजरीवाल ने खड़े किए सवाल

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भाजपा की रणनीति पर केजरीवाल ने खड़े किए सवाल
Kejriwal raised questions on BJP strategy
Kejriwal raised questions on BJP strategy

नई दिल्ली। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी मानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी और अपने आपको सफल रणनीति का हिस्सा मानकर आगे बढ़ने वाली य पार्टी दिल्ली विधान सभा चुनाव परिणाम के बाद सकते में आ गई है। दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी की सभी रणनीति पर पानी फेर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह एक अकेले अरविंद केजरीवाल को पछाड़ नहीं पाए।

महज सात साल पहले अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में बनी आम आदमी पार्टी ने दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी को दिल्ली में करारी मात दी है। इस तरह से भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली में 22 साल के सत्ता के वनवास को खत्म करने की कोशिशें धरी की धरी रह गईं। इस तरह से भारतीय जनता पार्टी का वनवास 5 साल का इजाफा और हो गया है।

आम आदमी पार्टी ने भाजपा को दूसरी बार शिकस्त दी है

आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को दूसरी बात शिकस्त दी है। वर्ष 2015 के दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा आम आदमी पार्टी से चुनाव में धराशायी हो गई थी। दिल्ली में फिर से आम आदमी पार्टी की मिली प्रचंड जीत ने बीजेपी की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अन्ना आंदोलन से निकले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के गठन के महज सात साल हुए हैं। कह सकते हैं कि आप का सियासी आधार दिल्ली तक ही सीमित है।

वहीं बीजेपी के 12 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं और मौजूदा समय में बीजेपी या उसके सहयोगियों की 16 राज्यों में सरकार में है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली की सल्तनत पर काबिज होने के लिए अपने सभी बड़े नेताओं ने प्रचार में उतारा था, लेकिन केजरीवाल के विजय रथ को नहीं रोक सके।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विकास के मुद्दे भाजपा पर भारी पड़ गए

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के विकास वाले मुद्दे भारतीय जनता पार्टी पर भारी पड़ गए। भाजपा ने विधान सभा चुनाव के दौरान आक्रामक प्रचार और पूरी ताकत लगा दी थी दिल्ली की गद्दी पाने के लिए। आम आदमी पार्टी के मुफ्त बिजली, पानी व महिलाओं को डीटीसी में फ्री यात्रा के मुद्दे का बीजेपी कोई तोड़ नहीं निकाल सकी। हालांकि बीजेपी ने शाहीन बाग को भी मुद्दा बनाया और इसका उसे लाभ भी मिला, लेकिन इतना नहीं कि वह आम आदमी पार्टी से बराबरी का मुकाबला कर सके।

2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के साथ हुआ था, ठीक उसी तरह दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के लिए रहा कि फैक्टर ने काम किया। आम आदमी पार्टी ने बेहद चतुराई से दिल्ली के मतदाताओं को समझाया कि बीजेपी के पास केजरीवाल की जगह लेने के लिए कोई योग्य शख्सियत है ही नहीं। पिछले छह माह के दौरान केजरीवाल सरकार ने और मुफ्त चीजों की घोषणा की जिसमें बसों और मेट्रो में महिलाओं और विद्यार्थियों को मुफ्त यात्रा शामिल है।

भाजपा के आक्रामक प्रचार पर केजरीवाल की सॉफ्ट सियासत काम आई

दिल्ली में बीजेपी जिस तरह से शाहीन बाग मुद्दे पर आक्रामक रही, उससे मुस्लिम मतदाता आम आदमी पार्टी के पक्ष में एकजुट हो गया, जिसने करीब एक दर्जन सीटों को प्रभावित किया। वहीं, केजरीवाल ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह को भी अपनाया और उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ किया। इससे वह हिंदू वोटों का बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकरण होने से भी रोकने में सफल रहे। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार के चुनाव को प्रतिष्ठा का चुनाव बनाकर लड़ा। गृह मंत्री अमित शाह की अगुआई में भाजपा ने गली-कूचे तक पहुंचकर आम आदमी पार्टी को बराबरी की टक्कर देने की कोशिश की।

दिल्ली चुनावों में पीएम मोदी ने दो जनसभाएं कीं और गृहमंत्री अमित शाह ने करीब 50 रैलियां और रोड शो किए। शाह ने डोर टू डोर कैंपेन भी किया। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 30 आम सभाएं कीं। मुख्यमंत्रियों की बात करें तो बीजेपी के फायरब्रांड नेता और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में 15 रैलियों को संबोधित किया। हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर, उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी कई रैलियां कीं। एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी दिल्ली में पार्टी के लिए कैंपेन किया।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 62 सीटाें पर किया कब्जा

2015 में बीजेपी ने 3 सीटें जीती थीं, तो इस बार पार्टी 8 सीटों तक पहुंच सकी। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी को 62 सीटें मिलीं और उसे दिल्ली में 54 फीसदी वोट मिले। 2015 के मुकाबले बीजेपी का वोट 32 से बढ़कर 38 पहुंचा, लेकिन इससे उसकी सीटें ज्यादा नहीं बढ़ीं। भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ 8 सीटों पर जीत मिली। इस बार के चुनाव में भी कांग्रेस अपना खाता नहीं खोल सकी। खास बात तो यह रही कि कांग्रेस की 67 सीटों पर जमानत जब्त हो गई।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार