केरल। देश के आखिरी छोर में बसा केरल कुछ दिनों पहले तक कोरोना संक्रमण के वायरस से जबरदस्त बुरी तरह चपेट में गया था। महाराष्ट्र और केरल में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी के साथ बढ़ती जा रही थी। लेकिन अब पिछले 1 सप्ताह से वहां इक्का-दुक्का ही मामले सामने आ रहे हैं। इसका पूरा श्रेय वहां की सरकार और पुलिस प्रशासन को जाता है। आज केरल ने कोरोना पर काफी हद तक नियंत्रण कर लिया है। जिससे उसकी देश ही नहीं विश्व स्वास्थ संगठन समेत कई देश प्रशंसा कर रहे हैं, और जो इस खतरनाक वायरस को रोकने के लिए इस राज्य ने मॉडल अपनाया उसी को लागू करने में जोर दिया जा रहा है।
इस राज्य ने शुरुआती जांचें, ताबड़तोड़ परीक्षण और संपर्क ट्रेसिंग के साथ, डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार क्वारंटाइन की अवधि दोगुनी करके 28 दिन की है। इसे एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के जरिए ही कर पाना संभव था। 30 जनवरी को केरल में पहला केस सामने आया था। तब से लेकर अब तक तक यहां मात्र 378 केस सामने आए हैं, दो मौतें हुई हैं और 198 लोग ठीक हो चुके हैं।
भारत में शुरुआती कोरोना संक्रमण के मामले केरल में ही आए थे
भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के शुरुआती मामले केरल से ही सामने आए थे। जनवरी महीने के अंत में जब तीन भारतीय छात्र वुहान से केरल लौटे तो जांच में कोरोना पॉजिटिव पाए गए। केरल में कोरोना वायरस का सफर सबसे पहले शुरू तो हुआ लेकिन यहां उसकी रफ्तार बढ़ने नहीं दी गई। केरल में रिकवर हुए मरीजों का प्रतिशत भारत में सबसे ज्यादा है। बता दें कि निपाह और जीका वायरस से निपटने का अनुभव केरल के काम आया।
वॉशिंगटन पोस्ट ने भी कोरोना वायरस की चुनौती से निपटने में केरल को पूरी दुनिया के लिए मिसाल बताया। विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही केरल को शाबाशी दे चुका है। केरल में आक्रामक तरीके से कोरोना संक्रमण की जांच, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, लंबी अवधि का क्वारनटीन, हजारों प्रवासी मजदूरों को शरण और जरूरतमंदों को खाना खिलाने जैसे तमाम कदम कोरोना वायरस से लड़ाई में असरदार साबित हुए।
इस राज्य में टेस्टिंग और दिशा-निर्देशों का लोगों ने पालन किया
गौरतलब है कि केरल राज्य से हजारों की संख्या में लोग खाड़ी देशों समेत कई अन्य देशों में भी रहते हैं। केरल में विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं और प्रवासियों की संख्या भी ज्यादा है, ऐसे में केरल को कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा था। इस राज्य की सरकार ने इस संक्रमण से निपटने के लिए टेस्ट को आधार बनाया और खूब लोगों के टेस्ट किए। केरल रैपिड टेस्ट और वॉक-इन टेस्ट करने में भी सबसे आगे रहा। रैपिड टेस्ट की वजह से केरल यह सुनिश्चित कर सका कि कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन न हो।
केरल ने कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर लोगों के मन से डर को भी निकालने की कोशिश की। सरकार ने शुरू से ही लोगों को इस लड़ाई में शामिल किया। इस राज्य के लोगों ने भी सरकारों और पुलिस प्रशासन को पूरा सहयोग किया और लगातार उनके दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते चले गए। आज देश में केरल कोरोना वायरस को काफी हद तक काबू पाने में सफल होता दिख रहा है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार