कोच्चि। केरल हाईकोर्ट ने नन के साथ बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार जालंधर के पूर्व बिशप फ्रैंको मुलक्कल की जमानत याचिका बुधवार को यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके विरुद्ध प्रथम दृष्टया साक्ष्य हैं।
न्यायालय ने बिशप मुलक्कल की जमानत याचिका खारिज करते हुए अभियोजन पक्ष की इस दलील को भी स्वीकार किया कि यदि आरोपी बिशप की जमानत मंजूर हो जाती है तो इससे जांच की प्रक्रिया में बाधा पहुंचेगी तथा पूरा मामला खराब होगा। न्यायालय ने कहा कि वह मामले के अन्य पहलुओं में नहीं जा रहे हैं क्योंकि यह बलात्कार का मामला है।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि अभी सिर्फ प्राथमिक जांच चल रही है और यदि बिशप, जो चर्च पर काफी प्रभाव डालता है, को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है।
अपने जमानती आवेदन में बिशप ने कहा कि नन द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से मनगढ़ंत और बेबुनियाद हैं जो उसके (नन) के खिलाफ की गयी कार्रवाई के प्रतिशोध में उनसे बदला लेने के लिए लगाए गए हैं।
देश में किसी बिशप के विरुद्ध दर्ज कराये गये अपने तरह के पहले मामले में मुलक्कल को नन के साथ बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
कैथोलिक क्रिस्ट से जुड़े मिशनरीज ऑफ जेसस ऑर्डर से जुड़ी नन ने अपनी शिकायत ने आरोप लगाया कि पांच मई 2014 से दो साल से अधिक समय तक बिशप मुलक्कल ने उसका 13 बार यौन शोषण किया।