खंडवा। मध्यप्रदेश के खंडवा संसदीय उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए पूरा जोर लगा रही है, हालाकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस चुनौती देने की पुरजोर कोशिश कर भाजपा से सीट छीनने के प्रयास में जुटी है।
खंडवा में भाजपा के ज्ञानेश्वर पाटिल और कांग्रेस के राजनारायण सिंह पुरनी समेत कुल 16 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही है। दोनों ही प्रत्याशी एक तरह से ‘लो प्रोफाइल’ नए चेहरे होने के चलते मुकाबला दोनों दलों के बीच सिमटता हुआ नजर आ रहा है।
चुनाव प्रचार की निर्धारित समय सीमा समाप्ति की ओर पहुंचने के बीच भाजपा की ओर से स्टार प्रचारक एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस अंचल में आधा दर्जन से अधिक दौरे कर चुके हैं और कल रात भी उन्होंने खंडवा में बितायी और आज सुबह फिर चुनाव प्रचार के लिए निकल पड़े। उनके अलावा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय, अनेक मंत्री और प्रदेश पदाधिकारी लगातार चुनाव प्रचार करते हुए मैदानी अमले को भी मजबूत करने में जुटे हैं।
वहीं कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ विशेष रूप से कमान संभाले हुए हैं। उनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी इस अंचल में चुनावी सभाएं दो दिन पहले ली हैं। पूर्व मंत्री मुकेश नायक, राजकुमार पटेल और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण पटेल अपने दल के प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री राजनारायण सिंह पुरनी के पक्ष में लगातार प्रचार कर रहे हैं।
हालांकि रोचक तथ्य है कि यादव भी इस संसदीय क्षेत्र का पूर्व में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और इस बार वे कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ना चाहते थे और उनकी तैयारियां काफी पहले से चल रही थीं। लेकिन ऐन मौके पर कथित तौर पर कुछ वरिष्ठ नेताओं की अनिच्छा के चलते श्री यादव ने ‘पारिवारिक कारण’ बताते हुए चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया और फिर पार्टी ने दिग्विजय सिंह के समर्थक माने जाने वाले राजनारायण सिंह पुरनी को मैदान में उतार दिया।
कांग्रेस को उपचुनाव के दौरान दाे दिन पहले उस समय करारा झटका लगा, जब उसके इस संसदीय सीट के अधीन आने वाले बड़वाह के विधायक सचिन बिरला मुख्यमंत्री की सभा में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। उनका बड़वाह क्षेत्र में काफी प्रभाव माना जाता है। यह भी इत्तेफाक रहा कि एक दिन पहले तक कांग्रेस का चुनाव प्रचार कर रहे बिरला ने भाजपा में शामिल होते ही कांग्रेस और उसके नेताओं को मंच से ही काफी खरी खोटी सुनाईं।
यह भी तय है कि एक सीट के चुनाव के परिणाम किसी सरकार की स्थिरता को प्रभावित सीधे तौर पर नहीं करेंगे, लेकिन यह आगामी समय की राजनीति को लेकर बड़ा संकेत ज़रूर देंगे। भाजपा इस चुनाव में जहाँ ‘मोदी-शिवराज सरकार’ की उपलब्धियों को लेकर जनता से वोट की अपील कर रही है, वहीं कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी, बिगड़ती अर्थ व्यवस्था और कोरोना काल की स्थितियां उठाकर कथित जनाक्रोश को वोट में तब्दील करने की कोशिश में जुटी है।
भाजपा नेता नागरिकों को नि:शुल्क कोरोना वैक्सीन मुहैया कराने को भी बड़ी उपलब्धि बताते हुए गिना रहे हैं, तो दिग्विजय सिंह के 10 साल और कमलनाथ के 15 माह के कार्यकाल भी जनता को याद करा रहे हैं।
खंडवा संसदीय सीट के इतिहास पर नजर दौड़ायी जाए तो वर्ष 1952 से लेकर 2019 तक एक उपचुनाव सहित कुल 18 लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमे 9 बार कांग्रेस और 9 बार भाजपा विजयी रही है। यहां से भाजपा के पितृ पुरुष माने जाने वाले पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे ने भी दो चुनाव लड़े हैं और वह एक बार सफल तथा एक बार असफल हुए।
इस क्षेत्र में यह दूसरा लोकसभा उपचुनाव है। पहला उपचुनाव 42 वर्ष पहले 1979 में हुआ था, जो तत्कालीन सांसद परमानंदजी गोविंदजीवाला के निधन की वजह से हुआ था। इसमें जनता पार्टी ने कुशाभाऊ ठाकरे को अपना प्रत्याशी बनाया और कांग्रेस ने स्थानीय नेता ठाकुर शिवकुमार सिंह को मौका दिया था। इसमें ठाकरे विजयी हुए थे।
आजादी के बाद शुरूआती 4 दशकों तक यहाँ कांग्रेस का ही एकछत्र राज्य था। सिर्फ आपातकाल के बाद ही कांग्रेस को चुनौती मिल सकी थी। यहां यह भी रोचक है कि वर्ष 1996 से अब तक 25 वर्षों में यहां कांग्रेस सिर्फ एक बार चुनाव जीती है, जबकि शेष सभी परिणाम भाजपा के पक्ष में रहे।
इतने वर्षों तक यहां भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान एक बड़े क्षत्रप के तौर पर स्थापित हुए, जिन्होंने 7 चुनाव लड़े और 6 बार विजय हासिल की। वर्ष 2019 के आम चुनाव में चौहान ने कांग्रेस के अरुण यादव को 2 लाख 73 हजार 343 मतों के बड़े अंतर से पराजित किया था। इसके पहले वर्ष 2014 के चुनाव में भी वे 2 लाख 59 हजार 714 मतों के बड़े अंतर से विजयी हुए थे। इस वर्ष कोरोना के संक्रमण के कारण श्री चौहान का मार्च 2021 में निधन हो गया और इसके चलते ही यह उपचुनाव हो रहा है।
कांग्रेस प्रत्याशी राजनारायण सिंह जहाँ मान्धाता विधानसभा क्षेत्र से पूर्व में विधायक हैं, वहीं भाजपा के ज्ञानेश्वर पाटिल अविभाजित खंडवा जिले में जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे हैं।
खंडवा संसदीय सीट में चार जिलों के आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। खंडवा जिले की तीन विधानसभाएं खंडवा, मान्धाता और पंधाना इसका हिस्सा है, वहीं बुरहानपुर जिले की बुरहानपुर एवं नेपानगर विधानसभा सीट इसके अधीन हैं। इसके अलावा खरगोन जिले के दो विधानसभा क्षेत्र भीकनगांव और बड़वाह भी इसी सीट का हिस्सा हैं, वहीं देवास जिले की बागली विधानसभा क्षेत्र भी इसमें शामिल है।
इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 19 लाख 59 हज़ार 436 मतदाता है, जिसमें 10 लाख 4 हजार 509 पुरुष और 9 लाख 54 हज़ार 854 महिला मतदाता हैं। इसके अलावा थर्ड जेंडर के भी 73 मतदाता हैं। इस चुनाव में 11 निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में हैं, हालाकि इनकी उपस्थिति नगण्य है। संसदीय क्षेत्र में 30 अक्टूबर को मतदान और 02 नवंबर को मतगणना होगी।