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khatu shyam falgun mela 2019-खाटू श्याम बाबा का 10 दिवसीय फाल्गुनी लक्खी मेला संपन्न - Sabguru News
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खाटू श्याम बाबा का 10 दिवसीय फाल्गुनी लक्खी मेला संपन्न

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खाटू श्याम बाबा का 10 दिवसीय फाल्गुनी लक्खी मेला संपन्न

सीकर। राजस्थान के सीकर जिले के खाटूश्यामजी में श्याम बाबा का दस दिवसीय वार्षिक फाल्गुनी लक्खी मेला आज सम्पन्न हो गया।

मेले के दौरान खाटूश्याम के दर्शन के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से भक्त उमड़ पड़े थे। इस दौरान केवल बाबा श्याम का नाम एवं गुणगान दिखाई दे रहा था। एकादशी को रविवार होने की वजह से श्याम भक्तों की हूजूम उमड़ पड़ने से मेला परवान चढ़ा हुआ था और श्याम बाबा के दर्शनों की कतार में लगे श्याम भक्त हाथ में निशान लिए प्रभु के जयकारे लगाते हुए बाबा श्याम के दर पर बढ़ रहे थे वहीं सेवा में खड़े स्वयंसेवक एवं स्काउट्स श्याम भक्तों में जयकारों एवं तालियों से जोश भरते नजर आए।

इस दौरान बाबा श्याम के पदयात्रा आने वाले भक्तों के लिए रींगस से खाटूधाम के बीच जगह जगह भण्डारे लगाए गए जहां भक्तों ने विभिन्न व्यंजनों का आनन्द भी लिया। मेले में सेवा कर रहे स्वयंसेवी संस्थाओं के सेवादार भी भक्तों की सेवा करने में अपनी और से कोई कसर नहीं छोड़ी।

बाबा श्याम के फाल्गुनी लक्खी मेले में एकादशी के पावन अवसर पर रथयात्रा भी निकाली गयी। इसमें बाबा श्याम को नीले घोड़े पर भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण को निकलना दर्शाया गया। बाबा श्याम की सवारी शाही लवाजमे के साथ श्याम मंदिर से आरम्भ हुई। रथयात्रा के साथ हजारों श्याम भक्त नाचते-गाते गुलाल उड़ाते हुए साथ चल रहे थे।

रथयात्रा के दर्शन करने के लिए गलियों में धर्मशालाओं की छतों पर श्याम भक्त एवं ग्रामीण खड़े रहे। बाबा श्याम के रथ के दीदार पाने एवं प्रसाद लेने की भक्तों में होड़ लगी रही। रथयात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए मुख्य बाजार पहुंची जहां पर बाबा श्याम की आरती की गई।

दस दिन के मेले में राजस्थान के अलावा दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, चेन्नई सहित विभिन्न जगहों से लाखों श्याम भक्त आए। फाल्गुन मेले में आए कोलकाता के एक श्याम भक्त ने बताया कि खाटूधाम में परिवार के जैसा माहौल लगता है और हमारे पूर्वज भी यहां दर्शनार्थ आते रहे हैं। इसलिए फाल्गुन मेले में आने की परम्परा ही बन गई है। परम्परा के अनुसार सूरजगढ का प्राचीन निशान आज जत्थे के साथ चढ़ाया गया जो वर्ष भर शिखरबंद पर चढ़ा रहेगा।