अजमेर। अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह अजमेर शरीफ पर नागरिक संशोधन बिल के विरोध में शुक्रवार को एक ‘एहतेजाजी जलसा’ आयोजित किया गया जिसमें खुद्दाम-ए-ख्वाजा और जायरीनों ने कैब का विरोध किया।
जुम्मे की नमाज के बाद आहता-ए-नूर पर आयोजित इस जलसे में सभी ने एकमत से नागरिक संशोधन बिल का विरोध करते हुए भारत के राष्ट्रपति को एक विरोध पत्र भेजने का फैसला किया है। पत्र में कहा गया है कि ‘मजहबी बुनियाद पर शहरीयत तरमीमी बिल को पास किया, इसकी हम मजम्मत करते है। यह दस्तूरे हिंद और जम्हूरियत के खिलाफ है जो हमें मंजूर नहीं है।’
खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सदर हाजी सैयद मोईन हुसैन एवं सचिव हाजी सैयद वाहिद हुसैन की ओर से एक सामूहिक प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें कहा गया कि दुनिया की सबसे बड़ी धर्मनिरपेक्ष जमहूरियत के दस्तूर में ऐसी मजहबी जात और नस्ल की बुनियाद पर तफरीक की इजाजत नहीं देता जिसमें सूफी संतों की तालीम की बू आती है।
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान के हर उस शहरी खास तौर पर खानकाहों और सूफी संत से उम्मीद करते हैं कि वे मुल्क के बेमिसाल कानून की हिफाजत के लिए अपना फर्ज पूरा करेंगें। इसमें लिखा गया है कि हम किसी भी मजहब के मानने वाले को हिंदुस्तानी शहरीयत देने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हिंदुस्तानी आईन में मजहबी ऐतबार से तरमीम के खिलाफ हैं और खासतौर पर उन नाम निहाद धर्म गुरुओं से जो मुसलमानों के ठेकेदार बने हुए हैं उनको चाहिए कि कौम की न सही मुल्क के आईने के लिए आवाज बुलंद करें और सच्चे हिंदुस्तानी होने का सबूत दें।
आज के जलसे का आयोजन अंजुमन सैयद जादगान की ओर से किया गया, लेकिन उसमें अंजुमन शेखजादगान के भी सभी लोग उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर से इस बिल को वापस लिए जाने की मांग की। जलसे में तय किया गया कि भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है और इसके संविधान से छेड़छाड़ करना देशहित में नहीं है।