अजमेर। अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 807वें सालाना उर्स की रविवार को परम्परागत रूप से शुरूआत हो गई। दरगाह शरीफ स्थित 85 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे पर भीलवाड़ा के गौरी परिवार के सदस्य फखरुद्दीन गौरी द्वारा उर्स का झंड़ा चढ़ा दिया गया।
अमन, शांति, पैगाम एवं भाईचारे का संदेश देने वाले गरीब नवाज के सालाना उर्स के झंडे की रस्म का सिलसिला लंगरखाना गली स्थित दरगाह कमेटी के गरीब नवाज गेस्ट हाउस से उर्स की नमाज के बाद जुलूस के रूप में शुरू हुआ। इस दौरान दरगाह बाजार के पूरे रास्ते आशिकाना-ए-ख्वाजा पुरुष, महिला, बच्चे झंडे की एक जलख पाने के लिए बेताब नजर आए।
झंडा चढ़ाने के दौरान दरगाह के पिछवाड़े बड़े पीर साहब की पहाड़ी से झंडे को 21 तोपों की सलामी दी गई जो इस बात का जयघोष रहा कि ख्वाजा साहब का उर्स प्रारंभ हो गया है। इसी के साथ मुस्लिम भाईयों ने एक दूसरे को गले मिलकर उर्स की मुबारकबाद दी।
झंडे की रस्म के अवसर पर गौरी परिवार के दो सौ से ज्यादा रिश्तेदारों के साथ दरगाह कमेटी, अंजुमन सैयद जादगान, अंजुमन शेखजादगान के नुमाइंदों, खादिमों के अलावा जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे।
झंडे की रस्म अदायगी के मौके पर दरगाह परिसर पूरी तरह जायरीन एवं स्थानीय मुस्लिम बिरादरी से भरा रहा। प्रशासनिक प्रतिबंधों के बावजूद झंडे के जुलूस पर पैसे लुटाने तथा झंडा को चूमने की होड़ बनी रही।
गौरतलब है कि रजब माह का चांद दिखने के साथ ही सात मार्च से गरीब नवाज का सालाना उर्स विधिवत शुरू हो जाएगा। यदि सात मार्च को चांद नहीं दिखाई देता है तो फिर आठ तारीख से धार्मिक रस्में शुरू हो जाएगी और खिदमत का समय भी बदल जाएगा।
सत्रह मार्च को बड़े कुल के साथ उर्स का विधिवत समापन होगा। इससे पहले अनेक वीवीआईपी चादरें गरीब नवाज की बारगाह में पेश होगी। हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली से अपनी चादर सौंप दी है जिसे छह मार्च को गरीब नवाज की बारगाह में पेश कर प्रधानमंत्री की ओर से मुल्क में अमन चैन, खुशहाली, शांति एवं भाईचारे की दुआ की जाएगी।