अजमेर। राजस्थान में अजमेर में आज बड़े कुल (नवी का कुल) की धार्मिक रस्म के साथ सूफीसंत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 808वां सालाना उर्स पूरी शानोशौकत के साथ सम्पन्न हो गया।
बड़े कुल की धार्मिक रस्में देर रात से ही शुरू हो गईं। अकीदतमंदों ने आस्ताने के बाहर की दीवारों को गुलाब जल, केवड़ा एवं चन्दन के पानी से धोने का सिलसिला शुरू कर दिया और पानी को बोतलों में भरकर घरों के लिए इकट्ठा कर लिया। सुबह 8.30 बजे आस्ताने शरीफ को एकमात्र घन्टे के लिये बंद कर दिया गया और अन्दर केवल खादिमों ने ही धुलाई की रस्म निभाई।
उसके बाद आस्ताने पर अंजुमनों की ओर से नया ‘गिलाफ’ पेश कर दिया गया। साथ ही उर्स में शिरकत करने आये जायरीनों के साथ साथ पूरे मुल्क में अमन खुशहाली, तरक्की एवं भाईचारे की कामना की दुआ की गई। खादिमों की ओर से उर्स के सफलतापूर्वक संपन्न होने पर शुक्रियाना भी अदा किया गया।
बड़े कुल की रस्म के चलते दरगाह शरीफ जायरीनों से खचाखच भरी रही। दरगाह और मेला क्षेत्र में उर्स की रौनक बरकरार है, लेकिन जायरीन अब तेजी से अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। उर्स पर जुम्मे की बड़ी नवाज हो चुकी है, लेकिन उर्स के मौके पर कल पढ़ने वाले जुम्मे पर भी हजारों जायरीन नमाज अदा करके ख्वाजा से दुआ करेंगे।