अजमेर। राजस्थान के अजमेर में आज सायं झंडा चढ़ने की रस्म के साथ ही ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 811वें सालाना उर्स का आगाज हो गया। बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाते समय 21 तोपों की सलामी दी गई। अब धार्मिक रस्में रजब माह का चांद दिखाई देने पर शुरु होगी और उर्स का विधिवत आगाज हो जाएगा।
अजमेर में दरगाह शरीफ के गरीब नवाज गेस्ट हाउस से झंडे का जुलूस अस्र की नमाज के बाद शुरु हुआ भीलवाड़ा के गौरी परिवार के फखरुद्दीन गौरी झंडे को अदब के साथ लेकर चले। गाजे बाजे, ढोल धमाकों के साथ जुलूस लंगरखाना गली से निजामगेट के रास्ते दरगाह में पहुंचा। इस दौरान कव्वाली का दौर भी चलता रहा। रस्से की घेराबंदी के बावजूद झंडे को चूमने की ललक में आशिक-ए-ख्वाजा मशक्कत करते रहे।
दरगाह के 85 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे पर रोशनी के पूर्व झंडा चढ़ाया गया जिसमें गौरी परिवार के सदस्य, उनके खादिम सैयद मारुफ अहमद, अंजुमन सैयद जादगान व शेखजादगान के पदाधिकारी व सदस्य तथा दरगाह कमेटी के नुमाइंदे मौजूद रहे। झंडे की एक झलक पाने के लिए अकीदतमंद उमड़ पड़े। बड़े पीर साहब की पहाड़ी से जब तोप दागी गई तो अकीदतमंदों के हाथ परवरदिगार की खिदमत में ऊपर उठ गए।
दरगाह शरीफ की छतों, आसपास की होटलों व मकानों पर अकीदतमंद झंडे की एक झलक देखने के लिए उमड़ पड़े। इस दौरान पुलिस बंदोबस्त बेहतरीन किया गया। जिला कलेक्टर अंशदीप एवं पुलिस अधीक्षक चूनाराम जाट व अन्य अधिकारी लगातार निगाहें बनाए रखें।
आज से उर्स के शुरु होने के साथ ही छठी के कुल से एक दिन पहले आस्ताना शरीफ में होने वाली खिदमत का समय भी बदल गया। प्रतिदिन दिन में ढाई बजे होने वाली खिदमत अब सायं सात बजे तक होगी। अजमेर दरगाह और दरगाह बाजार में उर्स की रौनक शुरू हो गई है। उर्स समाप्ति के बाद ही अब झंडे को उतारने की रस्म होगी।