चुनाव आयोग ने लगाया बैन : चुनाव का समय है और ऐसे समय में कई अलग अलग पार्टी के नेता बिना कुछ सोचे समझे कई ऐसी बातें बोल जाते हैं जोकि चुनाव आयोग के नियम के सख्त खिलाफ होता है और काफी समय से चुनाव आयोग की छुट्टी के बाद चुनाव आयोग ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कई नेताओं के खिलाफ कठोर फैसला लिया है जिसमें की ऐसे नेता जिन्होंने बिना सोचे समझे किसी भी प्रकार की बयानबाजी या टिप्पणी करी है जिसमें की वह कभी जाति संबंधित बात बोल रहे हैं या सीधे तौर पर वोट मांगने की बात कर रहे हैं ऐसे नेताओं के ऊपर चुनाव आयोग ने 72 घंटे के प्रचार पर रोक लगा दी है। आपको हम यह भी बताएंगे कि ऐसे कौन से नेता हैं जिन पर इस प्रकार के कठोर निर्णय लिए गए हैं।
योगी आदित्य नाथ पर 72 घंटे का बैन
सबसे पहले है योगी आदित्य नाथ जो कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं जिन पर चुनाव आयोग में 72 घंटे की चुनाव के प्रचार प्रसार की एवं सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार के प्रचार की रोक लगा दी है दरअसल 9 अप्रैल को योगी नाथ ने एक सभा में मुस्लिम समाज को नाम लेते हुए कहा कि यदि कांग्रेस और सपा एवं अन्य गठबंधन की पार्टियों को यदि अली पर विश्वास है तो हमें भी बजरंगबली पर विश्वास है बस इसके बाद क्या था चुनाव आयोग ने योगीनाथ पर इसको लेकर 72 घंटे की प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी है।
मायावती पर 72 घंटे का बैन
वहीं मायावती जिनके ऊपर भी इस प्रकार का कठोर उठाया गया है जिस में चुनाव आयोग ने मायावती के ऊपर भी 72 घंटे की प्रचार प्रसार की रोक लगा दी है दरअसल मायावती ने एक सभा में यह कहा कि उन्हें मुस्लिम वोटों से जिताने में मुस्लिम वोटों की बहुत जरूरत है और सीधे तौर पर धर्म के नाम का इस्तेमाल करते हुए मायावती ने मांगने की बात कही जिसकी वजह से चुनाव आयोग ने इनके ऊपर भी 72 घंटे की प्रचार प्रसार की रोक लगा दी है इसके जवाब में मायावती ने एक बयान जारी किया जिसमें कि वह खुद को निर्दोष बता रही हैं और यह कह रही हैं कि यह बहुत ही गलत हुआ है यह सरासर गलत है और चुनाव आयोग ने किसी प्रकार के दबाव में ही ऐसा कदम लिया है।
इसके अलावा भी कई और नेता जैसे कि आजम खान एवं मेनका गांधी (48 घंटे का बैन) वह कई अन्य नेता जिन पर इस प्रकार की रोक लगा दी गई है।
दरअसल चुनाव आयोग इस तरह की स्थिति को पहले से ही देख रहा था और चुनाव आयोग के पास इस प्रकार की शिकायतें लगातार जा रही थी जिसमें साफ साफ पता चल रहा था कि नेता अपनी मनमानी करते हुए कुछ भी बोल रहे हैं और वोट लेने के लिए धर्म के नाम का इस्तेमाल भी कर रहे हैं जो कि चुनाव आयोग के नियमों के सख्त खिलाफ है और इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा जिसमें चुनाव आयोग ने कहा कि उनके पास इस को लेकर बहुत ही सीमित अधिकार हैं और इसे वह कैसे संभाले यह उनके लिए मुश्किल है।
वकीलों की सलाह से तय हुआ नेताओं को नोटिस
इसके बाद कई वकीलों की सलाह मशवरा करने के बाद यह बात तय की गई कि ऐसे नेताओं को नोटिस देना होगा और इन के प्रचार-प्रसार पर रोक भी लगानी होगी इसके बाद चुनाव आयोग ने यह 72 घंटे का प्रचार-प्रसार का रोक लगाने का फैसला सुनाया।
अन्य नेताओं के लिए सबक
हो सकता है कुछ समय में ऐसे और कई नेताओं को चुनाव आयोग यह फैसला सुना दे और इसका असर चुनाव पर जरूर होगा अब इसके रहते अन्य पार्टियों को इसका किस प्रकार से फायदा होता है यह तो मतदान के दिन के बाद ही पता चलेगा।